गृह मंत्रालय ने पूर्व की यूपीए सरकार से तुलना करके तैयार किये गए यह आंकड़े पिछले सप्ताह संसद (Modi govt report card) में भी रखा हैं। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने कांग्रेस सरकार की यह कहकर आलोचना की थी कि कांग्रेस सरकार में नक्सली वारदातों में इजाफा हुआ है। हांलाकि पार्टी का यह वक्तव्य तब आया था जब विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी।
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2009 से अप्रैल 13 के दौरान नक्सली हिंसा के कुल 8,782 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2014-18 के दौरान यह आंकड़ा 4,969 था । मंत्रालय का कहना है कि बेहतर कार्रवाई की वजह से नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में भी लगातार कमी आती जा रही है 2010 में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 95 थी जो अब घटकर 60 रह गई है।
गौरतलब है कि विगत वर्ष बनाई गई नक्सल प्रभावित जिलों की नई सूची में छत्तीसगढ़ के सरगुजा कोरिया और जशपुर जिले को नक्सल सूची से बाहर करते हुए कवर्धा जिले को शामिल किया है। नई सूची में कवर्धा का नाम जुडऩे और तीन जिलों का नाम हटने से राज्य में अब नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 14 हो गई है जो कि पहले 16 थी।
मंत्रालय का दावा है कि भाजपा सरकार में नक्सली वारदातों में आम आदमी और सुरक्षा बलों के जवानों की मौत का आंकड़ा भी तेजी से घटा है। मंत्रालय का दावा है कि वर्ष 2009-13 के दौरान नक्सली वारदातों में 3,326 सुरक्षाकर्मियों और आम नागरिकों ने जान गंवाई थी, वहीं वर्ष 2014-18 के दौरान यह आंकड़ा कम होकर 1,321 पहुंच गया। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि छत्तीसगढ़, महाराट्र और ओडि़सा में नक्सलियों के पुनर्वास को लेकर जो भी नीतियां बनाई जा रही है केंद्र सरकार में उसमे हर प्रकार की मदद कर रही है।