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गाज गिरने की सूचना मिलेगी 45 मिनट पहले, लोकेशन की भी मिलेगी जानकारी

locationरायपुरPublished: Jul 04, 2020 11:38:45 am

Submitted by:

CG Desk

तकनीक का इस्तेमाल : अर्ली वार्निंग सिस्टम पर रिसर्च, 300 किमी के दायरे में होगा अध्ययन.

गाज गिरने की सूचना मिलेगी 45 मिनट पहले, लोकेशन की भी मिलेगी जानकारी

गाज गिरने की सूचना मिलेगी 45 मिनट पहले, लोकेशन की भी मिलेगी जानकारी

रायपुर . गाज (आकाशीय बिजली) के प्रकोप से आमजन और किसानों की जान बचाने के लिए आपदा प्रबंधन और छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद मिलकर अर्ली वार्निंग सिस्टम पर रिसर्च कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के पिछले तीन साल की घटनाओं को सभी सेंसर सेंटर से डेटा कलेक्ट किया जा रहा है।
यह प्रदेश के चार जिलों अंबिकापुर, रायपुर, जगदलपुर और राजनांदगांव में लगाया गया है। अगले सीजन तक आकाशीय बिजली की अग्रिम चेतावनी मिलने और लोकेशन ट्रेस का सिस्टम डेवलप होने की संभावना है। जो सेंसर लगाया गया, वह 300 किलोमीटर के दायरे में आकाशीय बिजली और उसकी तीव्रता का अध्ययन कर रहा है। छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और इसरो की मदद से इस पर रिसर्च चल रही है। इस सिस्टम के जरिए 45 मिनट पहले ही बिजली गिरने के स्थान का पता लग जाएगी। इसके लिए टोटल लाइटनिंग बेस्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम स्थापित किया गया है। अभी प्रदेश के 6 जिलों में एक तरह के सेंसर को स्थापित किया गया है।

कई राज्यों में पहले से ही स्थापित
लाइटनिंग डिटेक्शन सिस्टम एंड प्रॉपर अलर्ट सिस्टम का लाभ ओडिशा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और बिहार को मिल रहा है। इस सिस्टम के जरिए प्रभावित इलाकों में पहले ही अलर्ट जारी करके जानमाल को खतरे से बचाया जाता है।

300 लोगों की मौत हर साल
बिजली गिरने से प्रदेश में हर साल करीब 300 लोगों की मौत हो जाती है। अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में बिजली गिरने के मामले ज्यादा हैं। वर्ष 2017-18 में 265 लोगों की बिजली गिरने से मौत हो गयी थी। यह पिछले साल के मुकाबले 15 प्रतिशत ज्यादा है। इसके अलावा 2015 में 306, 2016 में 260, 2017 में 229 और 2018 में 265 की मौत गाज गिरने से हुई हैं।

इन बिंदुओं पर हो रहा शोध
– खेतों में काम करने वाले लोगों को आसमानी बिजली से क्या ज्यादा खतरा है।
– क्या उनके लिए बिजली ज्यादा जानलेवा साबित हो रही है।
– आसपास के भौगोलिक परिवेश में ऐसा क्या है जो, बिजली गिरने की घटना को ज्यादा बढ़ाता है।

यह हो सकता है हल
कई राज्यों में हुए रिसर्च से यह बात सामने आई है कि जिन खेतों या मकानों के आसपास ताड़ के पेड़ लगे होते हैं, वहां बिजली पहले गिरती है और व्यक्ति सुरक्षित बच जाता है। क्योंकि उस पूरे क्षेत्र में ताड़ का पेड़ ही सबसे ऊंचा होता है। ताड़ के पेड़ में मौजूद रस और पानी बिजली को जमीन में ले जाने का माध्यम बन जाती है। नारियल के पेड़ भी बिजली के अच्छे संवाहक हैं।

प्रभावी राज्यों में प्रदेश का नाम
एनसीआरबी के अनुसार, भारत में हर साल 2100 से ज्यादा लोग आकाशीय बिजली गिरने के शिकार हो जाते हैं। आकाशीय बिजली से होने वाली मौत के मामले में मध्यप्रदेश पहले नंबर पर है। इसके बाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा का स्थान आता है।

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