रायपुर

सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी : भू-माफियाओं ने की ऐसी साजिश की रिक्शावाला बना करोड़पति, ऐसे हुआ भंडाफोड़

मिली जानकारी के मुताबिक जमीन घोटाले के इस मामले में राजस्व विभाग समेत ही भू-अभिलेख शाखा, रजिस्ट्री विभाग के अफसर और कर्मचारियों ने दस्तावेज में हेराफेरी किया है. सरकारी रिकॉर्ड में छेड़खानी कर सरकारी जमीन को निजी बताकर रजिस्ट्री कराई है.

रायपुरAug 27, 2022 / 01:10 pm

Sakshi Dewangan

बिलासपुर. दिनभर मेहनत करके रोजी कमाने वाले रिक्शावाले भी क्या करोड़पति बन सकते हैं? इस सवाल का जवाब हर गरीब जानना चाहता है. इसका सवाल का जवाब छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मिला, लेकिन अब कथित करोड़पति सलाखों के पीछे हैं. मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में करोड़ों रुपए की शासकीय जमीन की हेराफेरी करके पूरे कांड का अंजाम दिया. चिंता की बात यह है कि इस मामले पुलिस की जांच पर बड़े सवाल उठने लगे हैं.

जमीन घोटाला खुलते ही शुरू हुआ बचाने का खेल
मिली जानकारी के मुताबिक जमीन घोटाले के इस मामले में राजस्व विभाग समेत ही भू-अभिलेख शाखा, रजिस्ट्री विभाग के अफसर और कर्मचारियों ने दस्तावेज में हेराफेरी किया है. सरकारी रिकॉर्ड में छेड़खानी कर सरकारी जमीन को निजी बताकर रजिस्ट्री कराई है. इस गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर पुलिस ने अपनी जांच शुरू की, इसी के साथ आरोपियों को बचाने का खेल शुरू हो गया.

पुलिस ने राजस्व विभाग के तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर से शिकायत प्रारंभिक जांच करने केस दर्ज किया है. चिंता की बात यह है कि इस प्रकरण में जिस तहसीलदार के कार्यकाल में राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी किया गया गया.

रिक्शवाला ऐसा बना करोड़ो की जमीन का मालिक
अब जानिए असली खेल के बारे में. दरअसल साल 2015 में बिलासपुर तहसीलदार के न्यायालय में बिलासपुर शहर के तोरवा इलाके के हेमूनगर में रहने वाले रिक्शा चालक भोंदूदास मानिकपुरी ने लगरा स्थित अपनी जमीन के दस्तावेज में नाम सुधरवाने के लिए आवेदन किया था.

भोंदूदास का कहना था कि उसने वासल बी. निवासी जूना बिलासपुर से लगरा में 11 एकड़ 20 डिसमिल जमीन को रजिस्टर्ड बिक्री पत्र के माध्यम से खरीदी थी, जो इसके बाद से भूमि उसके नाम पर दर्ज थी, लेकिन भोंदूदास का कहना था कि बीते दिनों राजस्व दस्तावेज से उसका नाम विलोपित हो गया है, जिसे दुरुस्त किया जाना चाहिए. इस मामले में भू-माफियाओं ने राजस्व अधिकारियों के साथ ही भू-अभिलेख शाखा और फिर रजिस्ट्री विभाग से साठगांठ करके रिकॉर्ड दुरुस्त कराने के बहाने शासकीय जमीन की रजिस्ट्री करा ली.

इस मामले में तहसीलदार संदीप ठाकुर ने अपने बचाव में पुलिस को बताया कि दस्तावेज में सुधार के लिए एप्लीकेशन मिलने और विज्ञापन प्रकाशन में कोई दावा-आपत्ति नहीं मिली थी, जिसके बाद 10 अक्टूबर 2016 को मामले में नामांतरण आदेश के लिए फाइल एसडीएम कोर्ट को भेज दी गई .

बहरहाल इस मामले में सरकारी ऑफिस के दस्तावेज और रिकॉर्ड में कूटरचना होने के कारण पुलिस ने शुरूआती जांच में ही पूरी गलती पकड़ ली. पुलिस की जांच और फोरेंसिक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो गई कि पुराने राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर करके शासकीय जमीन को निजी बताकर रजिस्ट्री की गई है.

प्रकरण में एक सप्ताह पहले तत्कालीन पटवारी अशोक जायसवाल को गिरफ्तार किया गया है, किन्तु इसके बाद दोषी आरआई, तहसीलदार या बाकि राजस्व अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है .बिलासपुर एसएसपी पारुल माथुर का कहना है कि इस मामले जांच चल रही है. जांच रिपोर्ट मिलने पर रिक्शा चालक भोंदू दास और भू-माफियों के साथ जमीन का काम करने वाले 4 लोगों को आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया है, जिसमे पटवारी भी शामिल है.

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