मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन ने नियामक आयोग को कई सुझाव दिए, जिसमें उद्योगों के लिए एक अलग टैरिफ विकल्प, नाइट टैरिफ, पीक ऑवर्स एवं ऑफ पीक ऑवर्स में अधिक छूट देना, पॉवर ऑफ के समय को बढ़ाना, लोड फैक्टर को यथावत रखना एवं आगामी वर्ष किसी भी प्रकार विद्युत टैरिफ में वृद्धि नहीं करने का प्रस्ताव दिया गया।
मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने कहा कि रोलिंग मिलों के लिए प्रदेश में सबसे ज्यादा महंगी बिजली की दरें हैं। प्रदेश में स्टील रोलिंग मिलों की विद्युत दरें सीमावर्ती राज्यों के मुकाबले बहुत अधिक होने के कारण रोलिंग मिल इकाइयां 50 से 60 फीसदी ही उत्पादन कर रहीं है। बीते महीनों में 8 से 10 रोलिंग मिलें बंद भी हो चुकी है। स्टील रोलिंग मिलों की तीन केटेगरी है प्रथम स्टेन अलोन रोलिंग मिलें जिनकी विद्युत की दर 8 से 9 रूपये प्रति यूनिट है। दूसरा रोलिंग मिल के साथ मिनी स्टील प्लांट जिनकी विद्युत की दर 5 से 5.50 रूपये प्रति यूनिट है एवं तीसरी केटेगरी रोलिंग मिल के साथ मिनी स्टील प्लांट और स्पंज आयरन विथ पॉवर प्लांट हैं, जिनकी विद्युत की दरें 7.50 रूपए प्रति यूनिट है। तीनों ही प्रकार की रोलिंग मिलें समान उत्पाद बनाती है, लेकिन दरें अलग-अलग हैं। नियामक आयोग द्वारा जनसुनवाई में यह मांग रखी गई कि अंतर को व्यवहारिक कर स्टेन अलोन रोलिंग मिलों के लिए दरें 7 रुपए प्रति यूनिट पर आना चाहिए।