छत्तीसगढ़ के जशपुर राजघराने के सदस्य जूदेव की सबसे बड़ी पहचान थी उनका घर वापसी अभियान। वे धर्म बदल चुके आदिवासियों के पांव धोकर उन्हें हिन्दू धर्म में वापसी कराते थे और हजारों का कराया भी। उनका पॉलिटिकल करियर एक स्टिंग ऑपरेशन ने खत्म कर दिया जिसमें वे जो डायलॉग बोलते देखे गए वो काफी मशहूर हुआ। वो डायलॉग था- ‘पैसा खुदा तो नहीं, पर खुदा की कसम, खुदा से कम भी नहीं’ बोलते नजर आए थे। जानकार बताते है युवा उंगली काट खून से तिलक करते थे।
स्वर्गीय जूदेव से जुड़ा सबसे दिलचस्प वाकया लोग बताते है कि वे 1988 में रायगढ़ की खरसिया विधानसभा से उप चुनाव लड़े और उनको पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने 8 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया लेकिन उसके बाद अर्जुन सिंह ने तो कोई विजय जुलूस नहीं निकाला पर दिलीप सिंह जूदेव ने “हमारी जीत चुरा ली गई” नारे के साथ रायगढ़ से जुलूस निकाला जो सिलसिला करीब एक साल तक जारी रहा. इस दौरान जगह जगह पर उनका सिक्कों और तलवार से स्वागत किया गया था।
खूबियां जो उन्हें बनाती थी खास
– सफारी हमेशा मिलिट्री स्टाइल में ही सिलवाई, ज्यादातर हरे रंग की।
– ब्रांडेड चश्मे का ऐसा शौक। उनके पास अच्छा खासा कलेक्शन था।
– हमेशा मोजे में कंघी रखते थे। फोटो खिंचाने से पहले हमेशा कहते थे, ‘एक मिनट’… बाल संवारते फिर फोटो शूट कराते थे।
– डाक टिकट संग्रह का शौक। उनके घर में 3000 से अधिक डाक टिकट का संग्रह था।
– लंबी और रौबदार मूंछें उनका स्टाइल स्टेटमेंट था।
– कुत्ते पालने का शौक। कहते थे, ‘दो पैर वालों से ज्यादा वफादार चार पैर वाले होते हैं।
प्रतिमा की खासियत
संघ प्रमुख मोहन भागवत स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव की जिस आदम कद प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं वह कई कारणों से अहम है। दरअसल अष्ट धातु से बनी इस प्रतिमा को राम सुतार जी ने बनाया है। 1925 में जन्मे 97 साल के राम सुतार जी वो सख्स हैं जिन्होंने भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची 182 मीटर की प्रतिमा बनाई है। इसके अलावा उन्होंने भारत के संसद भवन की गॉधी प्रतिमा, जर्मनी की प्रसिद्ध गॉधी प्रतिमा के साथ ही कई बड़े नेताओं और हस्तियों की प्रतिमा बनाई है। राम सुतार जी विश्व के नामचीन मूर्तीकार हैं. उनको टैगोर अवार्ड, पद्मश्री और पद्मभूषण से भी नवाजा गया है।
स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र प्रबल प्रताप सिंह जूदेव बताते हैं कि पिता जी की मूर्ति बनवाने के लिए गए तो वे स्टेचू ऑफ यूनिटी प्रतिमा को बनाने में व्यस्त थे लेकिन जैसे ही उनको खबर मिली कि छत्तीसगढ़ से दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र उनसे मिलने आए हैं तो वे काफी सहजता से मिले और मूर्ति बनाने के आग्रह को स्वीकार कर लिया। गौरतलब है कि दिलीप सिंह जूदेव की प्रतिमा नोएडा के गौतम बुद्ध नगर में बनाई गई है।