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कयाकिंग-केनोइंग खेल रायपुर साई सेंटर में फिर होगा शामिल

locationरायपुरPublished: Jan 17, 2022 01:35:37 am

Submitted by:

Dinesh Kumar

राजधानी के बूढ़ापारा स्थित आउटडोर स्टेडियम में संचालित साई सेंटर में कयाकिंग-केनोइंग खेल को फिर से शुरू करने की मांग की गई है। वर्ष 2014 में शुरू हुए रायपुर साई सेंटर में 2018-19 तक कयाकिंग-केनोइंग खेल आवासीय योजना में शामिल था।

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कयाकिंग-केनोइंग खेल रायपुर साई सेंटर में फिर होगा शामिल

एशियन कयाकिंग-केनोइंग फेडरेशन के सदस्य बलवीर सिंह कुशवाहा साई व खेल मंत्रालय को लिखेंगे पत्र

राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ को मिल चुके हैं 40 से अधिक पदक

वर्ष 2018-19 से रायपुर से हटा लिया गया था यह खेल
रायपुर. राजधानी के बूढ़ापारा स्थित आउटडोर स्टेडियम में संचालित साई सेंटर में कयाकिंग-केनोइंग खेल को फिर से शुरू करने की मांग की गई है। वर्ष 2014 में शुरू हुए रायपुर साई सेंटर में 2018-19 तक कयाकिंग-केनोइंग खेल आवासीय योजना में शामिल था। लेकिन, इसके बाद इस खेल को यहां से हटा दिया गया, जिससे छत्तीसगढ़ की इस खेल की प्रतिभाएं दम तोड़ती जा रही हैं। रविवार को रायुपर पहुंचे एशियन कयाकिंग-केनोइंग फेडरेशन के कार्यकारिणी सदस्य बलवीर सिंह कुशवाहा ने रायपुर साई सेंटर में दोबारा कयाकिंग-केनोइंग खेल को शामिल करने की मांग है। उन्होंने कहा कि इससे छत्तीसगढ़ में दम तोड़ती प्रतिभाओं को दोबारा जीवन मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस खेल को सेंटर में शुरू करने के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण को पत्र लिखेंगे। छत्तीसगढ़ क्याकिंग-केनोइंग फेडरेशन पहले ही क्षेत्रीय और केंद्रीय भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को इस संबंध में पत्र लिख चुका है। उल्लेखनीय है कि साई सेंटर के खिलाड़ी बूढ़ातालाब में प्रशिक्षण प्राप्त करते थे।
प्रदेश सरकार को ध्यान देने की जरूरत

छत्तीसगढ़ सरकार को इस संबंध में ध्यान देना चाहिए। खेल विभाग को अधिक पदक दिलाने वाले खेलों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। प्रदेश सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि रायपुर साई सेंटर से कयांकिंग-केनोइंग खेल को हटने से रोकना चाहिए था। क्योंकि] सेंटर चलाने के लिए सरकार की अधोसंरचना का ही उपयोग किया जा रहा है।
छोटे-छोटे सेंटरों के निकलती हैं प्रतिभाएं

कयाकिंग-केनोइंग खेल में अधिकतर गरीब बच्चे आते हैं, जिन्हें डाइट, शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए सरकार की सहायता की जरूरत होती है। छोटे-छोटे सेंटरों में इन खेलों की प्रतिभाएं तराशी जाती है। खिलाडिय़ों की प्रतिभा सुविधाएं मिलने से और निखरती हैं। इसलिए साई के छोटे-छोटे सेंटर से व्यक्तिगत व अधिक पदक वाले खेलों को नहीं हटाना चाहिए।
सर्वाधिक पदक जीतने के बाद भी हटाने पर जताई नाराजगी
उन्होंने रायपुर साई सेंटर से ओलंपिक खेल कयाकिंग-केनोइंग को हटाने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने रायपुर में कहा कि यहां के खिलाड़ी काफी प्रतिभावान हैं और राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत चुके हैं। इसके बावजूद यहां से इस खेल को हटा दिया गया, जो प्रतिभाओं को बेरोजगार करने जैसा है। संघ और खेल विभाग को दोबारा इस खेल को शुरू करने के लिए प्रयास करना चाहिए।
लगातार घटते जा रहे पदक
सुविधाएं मिलने से पहले इस सेंटर में प्रशिक्षण हासिल कर रहे छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी कयाकिंग-केनोइंग के राष्ट्रीय स्पर्धाओं में वर्ष 2014 से 18 के बीच 28 पदक सीनियर स्तर पर और जूनियर स्तर पर 40 पदक जीतने में सफल रहे। लेकिन, सेंटर से खेल हटने के बाद डाइट व सुविधाओं की कमी से पदक जीतने की संख्या लगातार कम होती जा रही। सीनियर स्तर पर 2018-19 के बाद यहां के खिलाड़ी केवल 12 पदक ही जीत सके। वहीं, जूनियर स्तर पर तो पदक ही आने बंद हो गए।
साई सेंटर पर यह मिलती हैं सुविधाएं

आवासीय योजना: निशुल्क आवास, भोजन, चिकित्सा व्यय, खिलाडिय़ों का दुर्घटना बीमा 150 रुपए प्रतिवर्ष, खेल परिधान 5000 रुपए प्रति खिलाड़ी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर की निशुल्क प्रशिक्षण व्यवस्था।

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