scriptधान से बने एथेनॉल का विक्रय मूल्य शीरा, शक्कर से उत्पादित एथेनॉल मूल्य के होगा समतुल्य | Sale price of ethanol made from paddy will be equivalent to ethanol pr | Patrika News

धान से बने एथेनॉल का विक्रय मूल्य शीरा, शक्कर से उत्पादित एथेनॉल मूल्य के होगा समतुल्य

locationरायपुरPublished: Nov 17, 2019 06:23:14 pm

Submitted by:

lalit sahu

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से की मुलाकातजैव एथेनॉल के उत्पादन के लिए न्यूनतम 10 वर्ष की अनुमति दिए जाने की केंद्र से की मांगबायोफ्यूल के क्षेत्र में निवेश प्रोत्साहन नीति को आगे बढ़ाने का किया आग्रहबस्तर में स्थापित हो एनएमडीसी का क्षेत्रीय मुख्यालय

धान से बने एथेनॉल का विक्रय मूल्य शीरा, शक्कर से उत्पादित एथेनॉल मूल्य के होगा समतुल्य

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं स्टील मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से उनके निवास पर मुलाकात की।

रायपुर. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं स्टील मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से उनके निवास पर मुलाकात कर उनसे छत्तीसगढ़ शासन के बायोफ्यूल के क्षेत्र में निवेश प्रोत्साहन नीति को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से एनएमडीसी का क्षेत्रीय मुख्यालय बस्तर में स्थापित किए जाने पर विचार करने का आग्रह किया साथ ही गैर प्रबंधकीय पदों पर स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करते हुए बस्तर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा दिए जाने पर विचार करने की मांग भी की। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि छत्तीसगढ़ की जनता की भावनाओं का आदर करते हुए बस्तर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार इसकी तत्काल स्वीकृति हमें प्रदान करेगा।
बघेल ने कहा कि अधिशेष खाद्यानों से जैव एथेनॉल उत्पादन हेतु राज्य द्वारा प्रत्याशित धान की अधिक आपूर्ति के अनुमान के आधार पर जैव एथेनॉल उत्पादन की अनुमति लंबे समय तक जैसे कि न्यूनतम 10 वर्ष के लिए दिया जावे ताकि राज्य में बायो-एथेनॉल के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिल सकें। उन्होंने कहा कि आपकी इस पहल से जैव एथेनॉल के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

केन्द्रीय मंत्री ने उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया
मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ धान का कटोरा है। यहां की 43 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि में मुख्य फसल धान की होती है। कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों का राज्य की जी.एस.डी.पी. में योगदान 20 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 में हमारे यहां धान का उत्पादन 80.40 लाख टन था। इसमें राज्य की आवश्यकता 42.40 लाख टन की थी। उसके बाद हमारे पास 38 लाख टन सरप्लस धान बायोफ्यूल के लिए बचता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि केन्द्र की जैव ईंधन नीति 2018 के प्रावधानों के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य मेें जो अतिरिक्त धान का उत्पादन हो रहा है उसमें बायो एथेनॉल सयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए निजी निवेश को आमंत्रित किया है। इस दिशा में हमारा केन्द्र से आग्रह है कि राष्ट्रीय जैव इंधन समन्वय समिति से धान आधारित बायो एथेनॉल के विक्रय मूल्य को शीरा, शक्कर व शुगर सिरप से बने एथेनॉल के विक्रय दर के बराबर रखे तो पर्यावरण आधारित बायो एथेनॉल के उत्पादन में हमें काफी मदद मिलेगी। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हम जल्द ही इस पर विशेष बैठक लेकर, उचित कार्यवाही करेंगे।

सरप्लस क्र्रॉप, बायोफ्यूल उत्पादन का अच्छा विकल्प
उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष 6.5 प्रतिशत की दर से देश में ऊर्जा की खपत बढ़ रही है। वहीं पेट्रोलियम दिन-प्रतिदिन घट रहा है। इस दिशा में सरप्लस क्र्रॉप, बायोफ्यूल उत्पादन का अच्छा विकल्प है। यह हमारी बढ़ती ऊर्जा खपत को भी पूरा करेगा। बायो एथेनॉल, उच्च गुणवत्ता का होता है। जो कि इंजन को और अधिक शक्तिशाली बनाता है। यह वायु प्रदूषण को भी कम करने में काफी कारगर है। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री से कहा कि यह ईंधन का सस्ता विकल्प है। जो कि किसानों को भी और अधिक फसल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करेगा। केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री की मांगों पर हर संभव मदद का भरोसा दिया है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो