पुलिस के मुताबिक वर्ष 2016 में विवि में पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराने की जिम्मेदारी प्रोफेसर व्यास नारायण दुबे को दी गई थी। इस दौरान उन्होंने विवि से 25 लाख रुपए एडवांस लिया था। बाद में पूरी राशि के समायोजन के लिए व्यास नारायण ने मूल्यांकनकर्ताओं के नाम से भुगतान का वाउचर पेश किया। इनमें से कई वाउचर फर्जी निकले। वाउचर के हस्ताक्षर भी त्रुटिपूर्ण थे। इस पर विवि के अधिकारियों को शक हुआ। इसकी जांच कराई गई। जांच में खुलासा हुआ कि जिन लोगों के नाम से वाउचर पेश किए गए हैं, उनमें से अधिकांश ने उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताय कि उत्तरपुस्तिकाओं को उन्होंने मूल्यांकन नहीं किया है।
उल्लेखनीय है कि मूल्यांकनकर्ताओं को प्रति कॉपी के हिसाब से अलग-अलग राशि भुगतान किया जाता है। व्यास नारायण ने कुल 2300 वाउचर पेश किए हैं, जो कुल करीब 20 लाख रुपए का है। आरोपी ने मूल्यांकन जबलपुर से कराना बताया है। पूछताछ में वहां के मूल्यांकनकर्ताओं ने इससे इनकार कर दिया है।
जांच में जुटी पुलिस
पूरे मामले की विवि ने सरस्वती नगर थाने में लिखित शिकायत की है। पुलिस अब तक एफआईआर नहीं कर पाई है। पुलिस मामले में टालमटोल कर रही है। विवि ने वाउचर में हुए हस्ताक्षर की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की जांच रिपोर्ट के अलावा फर्जीवाड़े से संबंधित पूरी जानकारी दी है।
प्रभारी सरस्वती नगर, रायपुर, सुशीलचंद्र कर्ष का कहना हैं विवि से शिकायत मिली है। इसकी जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपी के एफआईआर दर्ज की जाएगी।