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करोड़ों का घोटाला: लोन लेने और दिलाने वालों पर अपराध दर्ज, लोन देने वालों की भूमिका की जांच नहीं

locationरायपुरPublished: May 28, 2020 03:16:57 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट और अन्य जांच के बाद ही लोन स्वीकृति किया जाता है, लेकिन ताज्जुब की बात है कि 10 करोड़ रुपए से अधिक के 35 से ज्यादा लोन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जारी कर दिए। और किसी बैंक अधिकारी-कर्मचारी को भनक तक नहीं लगी।

रायपुर. फर्जी दस्तावेज बनाकर करोड़ों रुपए का आवास लोन घोटाला में अब तक पुलिस ने केवल बैंकों से लोन लेने और लोन दिलाने वालों के खिलाफ अपराध दर्ज किया और जेल भेजा है। लेकिन लोन देने वाले बैंक अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिकाओं की अब तक जांच शुरू नहीं की है। आवास लोन की पूरी प्रक्रिया बैंक अधिकारी और कर्मचारी करते हैं। लोन पास करने से लेकर भौतिक सत्यापन का काम भी बैंक अधिकारी करते हैं।

भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट और अन्य जांच के बाद ही लोन स्वीकृति किया जाता है, लेकिन ताज्जुब की बात है कि 10 करोड़ रुपए से अधिक के 35 से ज्यादा लोन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जारी कर दिए। और किसी बैंक अधिकारी-कर्मचारी को भनक तक नहीं लगी। पुलिस ने आधा दर्जन थानों में रेलवेकर्मी श्रीधर राव, सुनील सोनी और अन्य लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। मामले में श्रीधर और सुनील समेत ११ लोगों को जेल भेज दिया गया है। मंगलवार को तेलीबांधा और कोतवाली थाने में भी पुलिस ने पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से आधा दर्जन लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है।

दो मामलों का गारंटर हुआ गिरफ्तार

गंज थाने में भी आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज हुआ था। गंज थाना में लोन दिलाने के लिए गारंटर बने रेलवे कर्मचारी ५० वर्षीय अहमद अली को गिरफ्तार कर लिया गया। अहमद रेलवे में वेल्डर ग्रेड-१ के रूप में पदस्थ है। आरोपी खम्हारडीह और गंज थाने में दर्ज हुए मामले में आरोपियों का गारंटर बना था। पुलिस ने उसे गुरुवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बताया जाता है कि आरोपी कई लोन में गारंटर के रूप में सामने आया था, लेकिन फिलहाल पुलिस को दो मामलों में गारंटर बनने के सबूत मिले हैं।

श्रीधर को लिया रिमांड पर

श्रीधर राव और सुनील सोनी के खिलाफ आजाद चौक में भी धोखाधड़ी का मामला कायम है। इस मामले में दोनों को आजाद चौक पुलिस ने गिरफ्तार किया। और उनसे पूछताछ की गई। आरोपियों ने सुनियोजित ढंग से रेलवे कर्मचारियों के नाम से फर्जी दस्तावेज बनाए और उनके नाम पर बैंकों से आवास लोन लिया। जिन लोगों को लोन दिलाया गया, उनसे कमीशन के तौर पर बड़ी रकम ली गई है।

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