मॉडल स्टेशन के मुख्य रिजर्वेशन केंद्र की ये घटना है। रायपुर रेल डिवीजन का ये सबसे बड़ा टिकट आरक्षण केंद्र है जहां अग्निकांड की घटना हुई। दिन था रविवार और तारीख 6 फरवरी की रात। उस रात स्टेशन में गश्त कर रहे जीआरपी के जवान ने 2 बजकर 20 मिनट पर धुएं का गुबार निकलते हुए देखा था। तुरंत अपने अधिकारियों को बताया। तत्काल सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हुईं। अग्नि बुझाने की दमकलें बुलाई गईं। घटना की सूचना स्टेशन डायरेक्टर से लेकर रेलवे के आला अफसरों को दी गई। 20 से 25 मिनट के अंदर दो दमकलें आग बुझाने में लग गईं, परंतु पूरी तरह से सुबह होते-होते आग बुझ पाई थी। तब तक पूरा रेकॉर्ड रूम जल चुका था। चूंकि इस घटना से रिजर्वेशन केंद्र पानी-पानी और रेकॉर्ड की काली राख से लथपथ हो चुका था तो उसकी सफाई कराई गई।
सुबह 8 बजे से बनने लगा था टिकट
रिजर्वेशन केंद्र में अग्निकांड के बाद 7 फरवरी को हर दिन की तरह रेलवे काउंटर अपने निर्धारित समय सुबह 8 बजे खुले। लोगों के रिजर्वेशन टिकट भी बनने लगे। इसके बाद एक सूचना निकलती है कि रिजर्वेशन केंद्र के काउंटरों पर लगे कंप्यूटरों में से तीन के मॉनिटर भी गायब हैं। तब तक दिन के 10 बजे चुके थे।
10 बजे आरपीएफ ने रिपोर्ट दर्ज की
अब बारी थी जांच प्रक्रिया शुरू करने की। सुबह के 10 बजते तक रेलवे सुरक्षा बल के रायपुर स्टेशन पोस्ट में कंप्यूटर मॉनिटर चोरी की रिपोर्ट लिखाई गई। फिर जांच में जुट गई सुरक्षा टीमें। चूंकि घटना काफी गंभीर थी सो, 24 घंटे के अंदर रेलवे परिसर से एक चोर पकड़ा गया, उसके पास से तीन मॉनिटर भी जब्त कर लिए गए। सुरक्षा अधिकारी बताते हैं कि कड़ी पूछताछ की तो चोर रिजर्वेशन केंद्र की खिड़की से घुसकर चोरी करना तो कबूल कर लिया, परंतु आग लगाना कबूल नहीं किया। 8 फरवरी को चोर को कोर्ट पेश, जहां से जेल भेजने का आदेश हुआ।
एक सप्ताह तक चली रेलवे की जांच
रेलवे प्रशासन ने घटना को गंभीर मानते हुए संयुक्त रूप से तीन सदस्यों की कमेटी बनाई। चूंकि अग्निकांड की रात 12 बजे तक तीन बाबुओं के रहने का सीसीटीवी फुटेज सामने आया था। इसलिए इस कमेटी ने आग लगने से लेकर कर्मचारियों के संबंध में जांच की कि कहीं कोई सिगरेट या माचिस की जलती तिली तो नहीं फेंकी गई थी। क्योंकि यह पहले ही साफ हो चुका था कि आग शॉर्ट सर्किट से नहीं लगी। एक सप्ताह तक जांच के बाद शुक्रवार को कमेटी ने कोई दोषी नहीं की रिपोर्ट रेलवे प्रशासन को सौंपा।