पॉलीथिन पर प्रभावी रोक जरूरी
रायपुरPublished: Sep 18, 2018 05:20:29 pm
प्रतिबंध के बाद भी पॉलीथिन व प्लास्टिक सामग्री का इस्तेमाल
पॉलीथिन पर प्रभावी रोक जरूरी
छत्तीसगढ़ में पॉलीथिन को प्रतिबंधित करने के आदेश के बाद भी पॉलीथिन व प्लास्टिक सामग्री का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। यह चिन्ताजनक ही नहीं, बल्कि अत्यंत शर्मनाक स्थिति है कि प्रतिबन्ध के बावजूद छत्तीसगढ़ में इसके इस्तेमाल पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण नहीं लग पा रहा है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में प्रतिबंध के बावजूद प्रतिदिन सैकड़ों टन से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट जनरेट हो रहा है। यह प्लास्टिक कचरा मानव सहित जीव-जन्तुओं और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। मवेशी खाद्य पदार्थों के साथ ही पॉलीथिन कैरी बैग भी चबा जा रहे हैं। इससे मवेशी तमाम तरह की बीमारियों के शिकार भी हो जाते हैं। कई बार उनकी जान जाने का भी खतरा उत्पन्न हो जाता है, लेकिन जिम्मेदारों की नींद टूट नहीं रही है।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत जारी अधिसूचना के तहत पॉलीथिन कैरी बैग के क्रय-बिक्री या इस्तेमाल की शिकायत करने पर कोर्ट द्वारा 3 से 7 वर्ष तक की सजा या 1 लाख तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा सजा व अर्थदंड एक साथ दिया जा सकता है। पॉलीथिन के इस्तेमाल करने पर कार्रवाई का अधिकार कलक्टर, एसडीएम व छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारी को है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंगता। ऐसे में यह कारोबार कम होने की बजाय बेखौफ जारी है। हाईकोर्ट ने पॉलीथिन पर रोक लगाने के लिए कई बार कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन कुछेक कार्रवाई के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। क्या कानून की पालना के लिए जिम्मेदार अफसर तब ही हरकत में आएंगे, जब अदालत उन्हें आदेश देगी? सरकार भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई के बजाय किसी प्रकार का कानून लागू करने से हिचक रही है। अधिसूचना पर्यावरण सरंक्षण अधिनियम 1986 के तहत प्लास्टिक कप, प्लेट, गिलास के उपयोग को भी प्रतिबंधित करना प्रस्तावित है। अभी तक केवल पॉलीथिन जब्त कर संबंधित व्यक्ति से कुछ जुर्माना वसूलने के साथ ही कार्रवाई की इतिश्री कर ली जाती है।
बहरहाल, शासन-प्रशासन को प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की नकेल कसनी होगी। प्लास्टिक बैग की जगह उसे लोगों को विकल्प देने की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक बैग के उपयोग पर रोक लगाने के लिए लोगों को जागरूक भी करना होगा। सरकार को सियासी और रसूखदारों का आर्थिक हित त्यागना होगा। पर्यावरण की रक्षा के लिए पहले जनहित साधना होगा। स्वयंसेवी संस्थाओं को भी पॉलीथिन के खिलाफ जनजागरुकता लाने की दिशा में पहल करनी होगी।