शराब का प्रचलन
रायपुरPublished: Nov 05, 2018 08:03:40 pm
शराब समाज में प्रचलन में है इसलिए इसे बंद नहीं कर सकते
केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर का यह कहना कि शराब समाज में प्रचलन में है इसलिए इसे बंद नहीं कर सकते, अत्यंत विचारणीय है। छत्तीसगढ़ में महिला संगठनों के साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों ने पूर्ण शराबबंदी के लिए वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं। महिला संगठनों ने शराबबंदी के लिए आक्रामक तेवर भी दिखाए हैं। गांव-गांव में शराब भ_ियों को तहस नहस करने का भी काम किया है। इन सबके बीच जगदलपुर में पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री का यह बयान काफी मायने रखता है कि शराब प्रचलन में है, इसलिए इसे बंद नहीं किया जा सकता। हालांकि मामला बढ़ते देख उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार का बचाव भी किया कि सरकार ने शराब की कीमतों में इजाफा भी किया है ताकि इसका उपयोग कम से कम हो। केंद्रीय मंत्री का बयान एक तरह से सच भी लगता है, क्योंकि देश में कई राज्यों में पूर्ण शराबंदी के प्रयास किए गए। बिहार सरकार ने तो शराबबंदी लागू कर दी, लेकिन क्या वाकई शराब बंद हुआ।
बिहार के अलावा गुजरात और नगालैंड भी ऐसे राज्य हैं जहां पूर्ण शराबबंदी है। महाराष्ट्र में भी विशेष कानून हैं। केरल भी शराबबंदी को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की प्रतिबद्धता जता चुका है, वहां फाइव स्टार होटलों और रेस्तरां में शराब बिक्री पर बैन लग चुका है। लेकिन इन तमाम कानूनों के बावजूद पीने वालों की इच्छा पर कोई लगाम नहीं लगा सका। बिहार से पहले आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मिजोरम और हरियाणा में भी शराब पर प्रतिबंध की एक-एक कर घोषणाएं की गईं, लेकिन यह ज्यादा दिन तक चल नहीं पाई। ज्यादातर सरकारें राज्य की महिलाओं की मांग को देखते हुए शराब पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, लेकिन बाद में उन्हीं महिलाओं ने इस प्रतिबंध को हटाने की मांग रखी। आंध्रप्रदेश में चंद्रबाबू नायडू ने यह कह कर शराबबंदी हटा दिया कि इसे पूरी तरह लागू कर पाना संभव नहीं है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंशीलाल ने भी कहा कि पूरी तरह से शराबबंदी कानून लागू करना संभव नहीं है। बहरहाल, जनता की मांग की देखते हुए राज्य की भाजपा सरकार को शराबबंदी की दिशा में सार्थक पहल की जानी चाहिए, ताकि आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ को शराब की किसी भी प्रकार की लत से बचाया जा सके।