मूर्तिकार नौ रूपों में मां दुर्गा तो चार और आठ भुजाओं वाली शेरावाली को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। परंतु आस्था का यह पर्व फीका-फीका सा लग रहा है, क्योंकि कोरोना के चल रहा है। पहले जैसा उत्साह नहीं रहा। दुर्गोत्सव समितियां शहर में 4 से 5 हजार जगहों पर मूर्तियां विराजकर उत्सव मनाती रही हैं, वह अब पूरा परिवार तक सीमित होती दिख रही हैं, क्योंकि उत्सव की गाइडलाइन सख्त है। इसलिए कहीं-कहीं तैयारियां चल रही है।