scriptगाज से बचाव के प्रति उदासीनता | shasan ki laprvahi new | Patrika News

गाज से बचाव के प्रति उदासीनता

locationरायपुरPublished: Jul 18, 2018 10:12:31 pm

Submitted by:

Gulal Verma

बोइरझिटी में आकाशीय बिजली के गिरने से तीन खेतिहर मजदूरों की मौत हो गई जबकि 12 लोग गंभीर रूप से झुलस गए।

cg news

गाज से बचाव के प्रति उदासीनता

प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में आकाशीय बिजली ‘गाजÓ गिरने से मनुष्यों व मवेशियों की मौत होने की घटनाएं साल-दर-साल बढ़ रही हैं। लेकिन इस पर नियंत्रण करने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा अब तक कोई कारगर योजना नहीं बनाई गई है। गाज से बचने के लिए कुछ जगहों पर तडि़त चालक लगाने के लिए छोटे-मोटे प्रयास किए गए, लेकिन यह ‘ऊंट के मुंह में जीराÓ ही साबित हुआ है। सरकार को चाहिए कि हर साल की त्रासदी को देखते हुए दीर्घकालिक योजना बनाए ताकि गाज गिरने से मौत होने की घटनाओं को कम से कम किया जा सके। पहाड़ी क्षेत्रों में मकान का निर्माण करने वाले नागरिकों को भी हिदायत दी जाए कि बारिश के मौसम में गाज से बचने के लिए तडि़त चालक लगवाएं।
तिल्दा क्षेत्र के नेवरा के निकट ग्राम बोइरझिटी में रविवार को आकाशीय बिजली के गिरने से खेत में काम करने गए तीन खेतिहर मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 12 लोग गंभीर रूप से झुलस गए। इसी तरह जशपुर, अम्बिकापुर सहित कई क्षेत्रों में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से लोग जान गंवा चुके हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में हरे-भरे जंगल एवं पर्वतों में मिलने वाले हाईमैग्नेटिक पत्थरों के कारण बज्रपात यानी गाज गिरने की घटनाएं सर्वाधित होती हैं। एक आंकड़े के अनुसार बीते चार साल में अकेले जशपुर जिले में ही गाज गिरने से ९५ लोग मौत के मुंह में जा चुके हैं।
गाज गिरने से मौत होने का सिलसिला हर साल मानसून आने के साथ ही शुरू हो जाता है। गाज से बचाव के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में तडि़त चालक लगाने के लिए हर साल खरीदी की जाती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा समय से लगवाए नहीं जाते, जिसके कारण तडि़त चालक कुछ ही दिनों में कबाड़ में तब्दील हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में शासन-प्रशासन को चाहिए कि जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करे।
गाज से बचाव के लिए छत्तीसगढ़ के उन सभी पहाड़ी क्षेत्रों में तडि़त चालक लगाने की व्यवस्था करे जहां बारिश के दिनों में गाज गिरने की घटनाएं सर्वाधिक होती हैंं ताकि इस पर कुछ हद तक काबू पाया जा सके। साथ ही स्कूल, कॉलेज, छात्रावासों के आसपास तडि़त चालक लगवाए जाएं। लोगों को जागरूक भी किया जाए कि बारिश के मौसम में घर से बाहर न निकलें। मैग्रेटिक तरंगों से संबंधित रेडियो सेट, मोबाइल फोन वगैर स्वीच ऑफ कर लें। वर्षा के पानी से बचाव के लिए पेड़ों के नीचे न ठहरें जिससे गाज की चपेट में आने से बचा जा सके। स्वयंसेवी संस्थाओं सहित सामाजिक व राजनीतिक लोगों को भी तडि़त चालक लगाने की दिशा में आगे आना चाहिए, जिससे नागरिकों के साथ ही पशु-पक्षियों व मवेशियों की भी आकाशीय बिजली से रक्षा की जा सके।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो