फेफड़े के अंदर घुस गया थे कंकड़-मिट्टी मरीज के ऑपरेशन में जो पसलियां (6-7-8-9-10-11) गायब हो गई थी, उसके स्थान पर डॉ. कृष्णकांत साहू ने टाइटेनियम की नई पसली बनाई। इसके लिए करीब 15-17 सेंटीमीटर लम्बाई की चार टाइटेनियम प्लेट का उपयोग किया गया। ऑपरेशन से पूर्व घाव को धोकर अच्छी तरह से साफ किया गया क्योंकि फेफड़े के अंदर बहुत ज्यादा मिट्टी एवं कंकड़ घुस गया था। बायें फेफड़े में छेद हो गया था एवं फट गया था जिसको रिपेयर किया गया। डायफ्रॉम भी फट गया था इसे भी रिपेयर किया गया। इस ऑपरेशन में सबसे बड़ी समस्या घाव को बंद करने की थी क्योंकि दुर्घटना में छाती की चमड़ी कटकर गायब हो गई थी, जिसको डॉ. ध्रुव ने आसपास की चमड़ी एवं मांसपेशियों को मोबलाईज करके छाती में आए गैप को भरा। [typography_font:14pt;” >रायपुर . राजधानी के आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) के अंतर्गत संचालित कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सड़क दुर्घटना में घायल 23 वर्षीय युवक की जटिल सर्जरी करके दुर्घटना में टूटकर चकनाचूर हो चुकीं पसलियों की जगह टाइटेनियम की नई पसली लगाकर नया जीवन दिया है। प्रदेश में सरकारी संस्थान में सभवत: ऐसी पहली सर्जरी हुई है। एसीआई के हार्ट, चेस्ट, वैस्कुलर सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू और डीकेएस अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डॉ. कृष्णानंद ध्रुव एवं टीम के नेतृत्व में सफल सर्जरी हुई है। 22 मई की देर रात एक ऑयल डीपो में काम करने वाला चरौदा निवासी 23 वर्षीय युवक अपने मित्र के साथ बाइक से आरंग की ओर जा रहा था। एक ट्रक ने टक्कर मार दिया, जिससे बाइक चालक ट्रक के अंदर फिंक गया। ट्रक के नीचे राड में फंसकर युवक घसीटता चला गया, जिससे बाए फेफड़े की पसलियां पूरी तरह चकनाचूर हो गईं। पसली का टुकड़ा बाहर रोड में बिखर गया। चोट इतनी गहरी थी कि मरीज का फेफड़ा एवं दिल छाती से बाहर आ गया था। घायल युवक को संजीवनी 108 एम्बुलेंस से आंबेडकर के ट्रामा सेंटर में लाया गया। यहां पर डॉक्टरों ने इलाज के बाद युवक को हार्ट एवं चेस्ट सर्जन डॉक्टर कृष्णकांत साहू के पास भेज दिया। डॉ. साहू ने स्थिति देखकर ऑपरेशन की योजना बनाई और डीकेएस के प्लास्टिक सर्जन डॉ. कृष्णानंद ध्रुव को शामिल किया क्योंकि छाती में पसली के साथ-साथ चमड़ी में बहुत बड़ा गेप था, जिसको सामान्य तरीके से नहीं भरा जा सकता था। प्लेट से जल्दी से वेंटीलेटर से आया बाहरडॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि टाइटेनियम प्लेट का उपयोग करने से मरीज वेंटीलेटर से जल्दी बाहर आ गया एवं छाती बेडौल होने से बच गई। कृत्रिम पसली नहीं लगाई जाती तो मरीज को वेंटीलेटर से बाहर निकालना बहुत ही मुश्किल हो जाता। ऑपरेशन में 4 घंटे से ज्यादा का समय लगा। मरीज पूर्णत: स्वस्थ्य होकर डिस्चार्ज हो गया है।