इस वर्ष 3 अगस्त को सावन (Sawan) मास का आखिरी सोमवार श्रावण पूर्णिमा, श्रवण व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि का दुर्लभ संयोग में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा। लेकिन, कोरोना संक्रमण काल में त्योहार को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं हैं। इसके बावजूद भाई-बहन अपने-अपने तरीकों से रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की तैयारियां कर रखे हैं। वे दूर होने के कारण वीडियो कालिंग से खुशियां मनाएंगे।
कोरोना के सख्त लॉकडाउन के बीच राखी खरीदने और भेजने का दौर चलता रहा। शुक्रवार और शनिवार को राखी दुकानों में काफी भीड़ देखी गई। रविवार से अनेक प्रकार के पकवान घर-घर बनना शुरू हो जाएगा, क्योंकि शहर में मिठाइयों और तोहफा की दुकानें शटडाउन हैं। इस वजह से घरों में ही खुशियां मनाने की तैयारियां चल रही हैं। भाई-बहन एक दूसरे को फोन कर आने-जाने की स्थिति साधनों के बारे में भी उत्सुकता से पूछ रहे हैं कि कैसे आ पाएंगे एक-दूसरे के घर। यह चिंता बनी हुई है, क्योंकि संकट कोरोना का है।
वीडियो कांफ्रेसिंग में बड़ा माध्यम कोरोना के कारण कामकाज और त्योहार मनाने का तरीका भी बदल गया है। इसलिए भाई-बहन रक्षाबंधन पर्व पर वीडियो काफ्रेंसिंग के माध्यम से एक-दूसरे को देखकर खुशियां मनाएंगे, जो 100 से 150 किमी दूर हैं। घर पर रहें, सुरक्षित रहें का इसी माध्यम से संदेश भी देंगे और बहनें अपने भाई की दीर्घायु की कामनाएं करेंगी और भाई सदैव बहनों की रक्षा का संकल्प लेंगे। जो भाई-बहन करीब हैं, वह तिलक और आरती कर रक्षासूत्र भाइयों की कलाइयों पर बांधेंगी।
मनोरथ पूर्ण करने वाला संयोग प्राचीन महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ल के अनुसार इस बार मंदिर में भी रक्षाबंधन पर्व पर बाधा है। यजमानों को रक्षाबंधन सूत्र बांधना प्रभावित हुआ है, क्योंकि भक्तों के लिए मंदिर बंद हैं। दुर्लभ संयोग में घरों में सावन मास के आखिरी सोमवार पर भगवान की पूजा-आरती कर रक्षाबंधन पर्व मनाना मनोरथ को पूर्ण करने वाला है।
रायपुर महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया, दिनभर शुभमुहूर्त 29 साल बाद रक्षाबंधन पर्व पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। सावन मास का आखिरी सोमवार है। श्रावण पूर्णिमा, श्रवण और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की युति में सर्वार्थ सिद्धि योग उत्तम है। दिनभर राखी बांधने का शुभमुहूर्त है।
रक्षाबंधन का चौघडिय़ा मुहूर्त
– सुबह 9.28 बजे तक भद्रा
– सुबह 9.29 से 10.30 बजे तक शुभ
– दोपहर 1.30 से 3 बजे तक चर की घड़ी
– दोपहर 3 से 4.30 बजे तक लाभ
– शाम 4.30 से 6 बजे तक अमृत घड़ी
– शाम 6 से 7.30 बजे चर का योग