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ऑर्गेनिक सीताफल
सीताफल का उत्पादन छत्तीसगढ़ (chhattisgarh) के अन्य जिलों में भी होता है लेकिन कांकेर जिले का यह सीताफल प्रसिद्ध है। यहां प्राकृतिक रूप से उत्पादित सीताफल के 3 लाख 19 हजार पौधे हैं। जिससे प्रतिवर्ष अक्टूबर से नवम्बर तक 6 हजार टन सीताफल का उत्पादन होता है। यहां के सीताफल के पौधों में किसी भी प्रकार की रासायनिक खाद या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है। यह पूरी तरह जैविक (organic) होता है। इसलिए यह ऑर्गेनिक (organic) सीताफल स्वादिष्ट ( delicious) होने के साथ पौष्टिक (nutritious) भी होता है।
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25 लाख रुपए आमदनी
कांकेर (kanker) वैली फ्रेश सीताफल की ग्रेडिंग और संग्रहण करने वाले स्वसहायता समूह को इस वर्ष लगभग 25 लाख रुपए तक की आमदनी होने की उम्मीद है। प्रशासन द्वारा कांकेर वैली (valley) फ्रेश सीताफल के रूप में अलग-अलग ग्रेडिंग कर 200 टन विपणन का लक्ष्य रखा गया है।
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कांकेर वैली फ्रेश सीताफल
कांकेर (kanker) वैली फ्रेश सीताफल के ब्रांड नाम से सीताफल की ग्रेडिंग कर मार्केटिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा रहा है। कांकेर वैली (valley) फ्रेश का सीताफल 20 किलोग्राम के कैरेट और एक किलोग्राम के बॉक्स में उपलब्ध है। प्रशासन द्वारा सीताफल (sitafal) की खरीदी महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से हो सके इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई हैं।
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श्रीराम को किया था भेंट
ऐसा माना जाता है कि अयोध्या (ayodhya) के राजा श्रीराम (shri ram) को वनवास के दौरान सीता माता ने चमत्कारी गुणों वाला यह फल भेंट किया था। इसलिए इस फल का नाम सीताफल (Custard Apple) हुआ। इस फल को शरीफा व कस्टर्ड एपल (custard apple) भी कहा जाता है। दीपावली पर्व (deepawali festival) पर लक्ष्मीपूजन (laxmi puja) में सीताफल का भोग लगाया जाता है।