scriptस्थिति चिंताजनक, छत्तीसगढ़ कर रहा सालाना 44.43 प्रतिशत भू-जल का दोहन | Situation worrisome, CG is exploiting 44.43 percent ground water | Patrika News

स्थिति चिंताजनक, छत्तीसगढ़ कर रहा सालाना 44.43 प्रतिशत भू-जल का दोहन

locationरायपुरPublished: Feb 27, 2020 12:32:54 pm

Submitted by:

Prashant Gupta

आज ही सतर्क होने की जरुरत…-
11.75 बीसीएम- इतना पानी सालाना हो रहा भूमिगत
10.56 बीसीएम- पानी निकाला जा सकता है
4.70 बीसीएम- सालाना इतना पानी निकाला जा रहा
(- बिलियन मीटर क्यूसेक यानी अरब घनमीटर पानी)
– गुरुर व धरसींवा की स्थिति में सुधार, लेकिन अभी भी क्रिटिकल ब्लॉक ही हैं
– जल संसाधन विभाग और केंद्रीय भू-जल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में खुलासा- 24 विकासखंड चिंताजनक स्थिति की ओर बढ़ रहे…।

रायपुर. छत्तीसगढ़ सालाना 44.43 प्रतिशत भू-जल का दोहन कर रहा है। यह आंकड़े साल-दर-साल तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। राज्य जल संसाधन विभाग और केंद्रीय जल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट भू-जल संकट के संकेत दे रही है। प्रदेश के 146 विकासखंडों में गुरुर और धरसींवा लगातार 90 प्रतिशत से अधिक भू-जल का दोहन कर रहे हैं।
2017 की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुर विकासखंड में 100 प्रतिशत भू-जल का दोहन हो रहा था, जो अब घटकर 96.62 प्रतिशत हो गया है। स्थिति में सुधार हुआ है। वहीं धरसींवा में लगे उद्योग भू-जल के आंकड़े सुधरने नहीं दे रहे।रिपोर्ट के मुताबिक 22 विकासखंड चिंताजनक स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं। राहत की बात यह है कि प्रदेश के 122 विकासखंड सुरक्षित श्रेणी में हैं। संभागीय भू-जल संरक्षण इकाई के वरिष्ठ भू जलविद अजीत शुक्ला कहते है कि जल प्रबंधन ही हमें भविष्य के जल संकट से बचा सकता है।
‘पत्रिकाÓ को प्राप्त जानकारी के मुताबिक साल 2017 में जल संसाधन विभाग व केंद्रीय जल बोर्ड की संयुक्त टीमों ने प्रदेश के 632 कुओं से भू-जल के सैंपल लिए थे। गणना करके, केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी गई। जिसे जनवरी 2020 में मंजूरी मिली। जानकार मानते हैं कि सरकार को जल नीति पर काम करने सख्त जरुरत है।

कहां, कितना पानी होता है इस्तेमाल- भू-जल का सर्वाधिक इस्तेमाल सिंचाई में होता है, जो करीब 80 प्रतिशत है। 10 प्रतिशत उद्योगों द्वारा, पांच प्रतिशत मानव द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता है। पांच प्रतिशत पानी नदी-नालों के माध्यम से बह जाता है।अभी सिर्फ कुओं के आधार पर गणना प्रदेश में 623 कुओं के जल स्तर को लेकर गणना की गई। इन कुओं की गहराई अधिकतम 60 फीट ही है। मगर, वोर 200 से 400 फीट तक हो रहे हैं। ऐसे में धरती के अंदर की पहली परत में मौजूद पानी की ही गणना हो पा रही है, इसके नीचे की नहीं। जबकि घरों-घर हुए बोर भू-जल संकट को गहरा रहे हैं।

साल-दर-साल भू-जल की स्थिति-

साल- अतिदोहन- क्रिटिकल- सेमी क्रिटिकल- सुरक्षित

2019- 00- 02- 22- 122

2017- 00- 02- 23- 121

2013- 09- 02- 18- 125

2011- 09- 00- 18- 125
2009- 00- 02- 18- 125

2007- 00- 00- 08- 138

(नोट- जनवरी २०२० में जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक)

ऐसे होता है आंकलन-

अतिदोहन- जो विकासखंड 100 प्रतिशत भू-जल का करते हैं इस्तेमाल। क्रिटिकल– 90 से 100 प्रतिशत भू-जल का इस्तेमाल करने वाले। सेमी क्रिटिकल– 70 से 90 प्रतिशत भू-जल का इस्तेमाल करने वाले। सुरक्षित- 70 प्रतिशत से कम भू-जल का इस्तेमाल करने वालों को सुरक्षित माना जाता है।————————————————-

भू-जल की स्थिति-

क्रिटिकल विकासखंड- गुरुर (96.62), धरसीवां (92.89)

ये विकासखंड सेमी क्रिटिकल में- जिला बालोद- बालोद। जिला बेमेतरा- बेमेतरा, बेरला, नवागढ़, साजा। जिला बिलासपुर- बिल्हा, तखतपुर। जिला धमतरी- धमतरी, कुरुद। जिला दुर्ग- धमधा, दुर्ग, पाटन। जिला गरियाबंद- राजिम। जिला जांजगीर चांपा- मालखरोदा। जिला कवर्धा- कवर्धा, पंडरिया। जिला महासमुंद- बसना, पिथौरा। जिला रायगढ़- बरमकेला, पुस्सौर। जिला रायपुर- धरसीवां। जिला राजनांदगांव- डोंगरगढ़, राजनांदगांव।

किसकी क्या जिम्मेदारी-

शासन और प्रशासन- बचे हुए तालाबों का गहरीकरण करवाएं, बरसात के पानी को संग्रहित करने के लिए वॉटर हॉर्वेस्टिंग की अनिवार्यता सख्ती से लागू करवाएं, ऐसे फसलों को बढ़ावा दें जिनमें पानी का कम होता है इस्तेमाल, उद्योगों द्वारा पानी के दोहन पर नीति-निर्धारण हो, हर गांवों में समितियां बनाकर तालाबों का संरक्षण सुनिश्चित करवाया जाए, वोर-बेल की गाइड-लाइन का पालन करवाएं।
आम नागरिकों की भागीदारी- मुंह धोने, नहाने, वाहन धोने में सीधे नल नहीं बॉल्टी में पानी भरकर इस्तेमाल करें। ओवर हेड टैंक से पानी की बर्बादी रोकें। जनजागरूकता में भागीदार बनें।

कुछ विकासखंडों की स्थिति चिंताजनक है। जिस प्रकार से गुरुर की स्थिति में सुधार हुआ, वैसे ही दूसरे विकासखंड भी कर सकते हैं। शासन-प्रशासन व आम जनता सबको साथ मिलकर काम करना होगा।
जयंत पवार, प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग, छत्तीसगढ़

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