कहां, कितना पानी होता है इस्तेमाल- भू-जल का सर्वाधिक इस्तेमाल सिंचाई में होता है, जो करीब 80 प्रतिशत है। 10 प्रतिशत उद्योगों द्वारा, पांच प्रतिशत मानव द्वारा इस्तेमाल में लाया जाता है। पांच प्रतिशत पानी नदी-नालों के माध्यम से बह जाता है।अभी सिर्फ कुओं के आधार पर गणना प्रदेश में 623 कुओं के जल स्तर को लेकर गणना की गई। इन कुओं की गहराई अधिकतम 60 फीट ही है। मगर, वोर 200 से 400 फीट तक हो रहे हैं। ऐसे में धरती के अंदर की पहली परत में मौजूद पानी की ही गणना हो पा रही है, इसके नीचे की नहीं। जबकि घरों-घर हुए बोर भू-जल संकट को गहरा रहे हैं।
साल-दर-साल भू-जल की स्थिति-
साल- अतिदोहन- क्रिटिकल- सेमी क्रिटिकल- सुरक्षित 2019- 00- 02- 22- 122 2017- 00- 02- 23- 121 2013- 09- 02- 18- 125 2011- 09- 00- 18- 125ऐसे होता है आंकलन-
अतिदोहन- जो विकासखंड 100 प्रतिशत भू-जल का करते हैं इस्तेमाल। क्रिटिकल– 90 से 100 प्रतिशत भू-जल का इस्तेमाल करने वाले। सेमी क्रिटिकल– 70 से 90 प्रतिशत भू-जल का इस्तेमाल करने वाले। सुरक्षित- 70 प्रतिशत से कम भू-जल का इस्तेमाल करने वालों को सुरक्षित माना जाता है।————————————————-भू-जल की स्थिति-
क्रिटिकल विकासखंड- गुरुर (96.62), धरसीवां (92.89) ये विकासखंड सेमी क्रिटिकल में- जिला बालोद- बालोद। जिला बेमेतरा- बेमेतरा, बेरला, नवागढ़, साजा। जिला बिलासपुर- बिल्हा, तखतपुर। जिला धमतरी- धमतरी, कुरुद। जिला दुर्ग- धमधा, दुर्ग, पाटन। जिला गरियाबंद- राजिम। जिला जांजगीर चांपा- मालखरोदा। जिला कवर्धा- कवर्धा, पंडरिया। जिला महासमुंद- बसना, पिथौरा। जिला रायगढ़- बरमकेला, पुस्सौर। जिला रायपुर- धरसीवां। जिला राजनांदगांव- डोंगरगढ़, राजनांदगांव।किसकी क्या जिम्मेदारी-
शासन और प्रशासन- बचे हुए तालाबों का गहरीकरण करवाएं, बरसात के पानी को संग्रहित करने के लिए वॉटर हॉर्वेस्टिंग की अनिवार्यता सख्ती से लागू करवाएं, ऐसे फसलों को बढ़ावा दें जिनमें पानी का कम होता है इस्तेमाल, उद्योगों द्वारा पानी के दोहन पर नीति-निर्धारण हो, हर गांवों में समितियां बनाकर तालाबों का संरक्षण सुनिश्चित करवाया जाए, वोर-बेल की गाइड-लाइन का पालन करवाएं।