योगों में सोमवती और देव पितृ कार्य अमावस्या होने से पितृदोष की शांति के लिए विशेष शुभ मुहूर्त है किसी जातक की जन्म पत्रिका में यदि अमावस्या दोष, ग्रहण दोष, चांडाल योग, विष योग, पितृ दोष है, साथ ही शनि से पीड़ित है तो तीर्थ स्नान, नांदी श्राद्ध तर्पण, मात्र से ही उक्त दोषों का निवारण हो जाएगा।
ज्योतिषाचार्य संतोष शर्मा ने बताया कि 3 जून को सोमवती अमावस्या है। इस दिन पांच महायोग बन रहे हैं। इस दिन शनि जयंती वट सावित्री व्रत, सोमवती अमावस्या, सर्वार्थसिद्धि के साथ-साथ अमृत योग भी बन रहा है। यह वह दिन है जब हर प्रकार की बाधा को दूर करने के लिए उपाय किए जाते हैं।
इन पांच योग में पूजन और दान पुण्य करने से पितृ दोष की शांति, शनि के अशुभ प्रभाव का निवारण और पति की दीर्घायु होती है। शांतिदेव पितृ कार्य अमावस्या और सोमवती अमावस्या के दिन 3 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग सूर्योदय से लेकर रात अंत तक रहेगा। इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे पीपल में जल या कच्चा दूध चढ़ाने से नौकरी के योग बनते हैं।
ज्योतिविद आचार्य पवन शास्त्री के अनुसार वट सावित्री अमावस्या के दिन माता सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। हिंदू धर्म में वट सावित्री (Vat Savitri Vrat 2019) अमावस्या सौभाग्यवती स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन वटवृक्ष के नीचे सावित्री सत्यवान की कथा का श्रवण करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, इसीलिए इसदिन घर-घर में महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती है।
पवन शास्त्री के अनुसार शनि जयंती (shani amavasya), देव पितृ कार्य अमावस्या और सोमवती अमावस्या के दिन 3 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5.49 बजे प्रारंभ होगा जो दूसरे दिन 4 जून को सुबह 5.49 बजे तक रहेगा। अमृत योग सोमवार की रात्रि 12 बजे से प्रारंभ होकर सुबह 5.49 बजे तक रहेगा। सोमवती अमावस्या के दिन यह योग कई सालों बाद बन रहे हैं। इसीलिए इस सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है।
मौन व्रत रहने से होगा मन शुद्ध
इस पूरे साल में केवल 3 सोमवती अमावस्या तिथि पड़ रही है। इसमें पहली सोमवती अमावस्या 4 फरवरी थी। दूसरी 3 जून और तीसरी 28 अक्टूबर को पड़ रही है। इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद मौन व्रत रखकर जाप करने से मन की शुद्धि होती है। कुंभ मेले का एक स्नान मौनी अमावस्या का भी होता है।
दान से मिलेगा हजार गाय के दान के समान फल
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2019) के दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है। इसके बाद क्षमता के अनुसार दान किया जाता है। सोमवती अमावस्या (somvati amavasya) के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि सोमवती अमावस्या (somvati amavasya) के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान फल मिलता है।