अब मुझे कोई अफसोस नहीं रहा
बिलासपुर के राधेश्याम सोनी ने रुंधे गले से बताया कि वे बचपन से डॉक्टर बनना चाहते थे। 12 साल तक ड्रेसर भी रहे। कुछ एेसी परिस्थितियां बनीं कि कार्य क्षेत्र ही बदलना पड़ा। आज जब बेटे सागर ने डॉक्टर की पढ़ाई पूरी कर ली तो लगा मेरा ख्वाब पूरा हुआ।
मेरे लिए आज का दिन सबसे बड़ा
अंबिकापुर से आईं निर्मला बड़ा ने कहा कि आज का दिन सबसे बड़ा है क्योंकि मेरा बेटा रवि डॉक्टर बन गया। हम सब के लिए गर्व का पल है। रवि ने सिर्फ खुद के ड्रीम को नहीं बल्कि पूरी फैमिली के सपने को पूरा किया है।
प्राउड फील कर रहे
धमतरी से आए आरएल देव और यामिनी देव ने कहा कि हम बहुत प्राउड फील कर रहे हैं कि हम एक डॉक्टर बेटी के पैरेंट्स हैं। देव कहते हैं मेरा भी सपना था कि डॉक्टर बनूं। लेकिन तकदीर को कुछ और मंजूर था। तृप्ति ने जो खुशी दी है उससे मेरा अब तक का मलाल भी खत्म हो गया।
बेटियों को मौका दीजिए, गर्व की बात
बिलासपुर से पहुंचीं अरुणा सिंह ने कहा, बेटी रूपाली डॉक्टर बन गई। ये मेरे लिए ही नहीं पूरी महिला शक्ति के लिए गर्व की बात है। हमें बेटियोंं को उनकी पसंद के सबजेक्ट चूज करने की आजादी देनी चाहिए।
इनकी चार बेटियां, अब चारों हैं डाक्टर
बिलासपुर से आए अशोक लाल कुमार-दुशील सिंह की चार बेटियां हैं। यहां पढऩे वाली दिव्याश्री भी डॉक्टर बन गई। दंपती ने बताया कि अब हमारी चारों बेटियां डॉक्टर बन गईं हैं। अशोक ने कहा, मैं डॉक्टर बनना चाहता था, किसी वजह से नहीं बन पाया। अब बच्चों को डॉक्टर बनता देख बहुत खुशी हो रही है।
आज का यह पल हमेशा रहेगा यादगार
भिलाई की शगुफ्ता और भाटापारा की रीतु ने बताया गाउन पहनकर डिग्री लेने का जो पल था वो हमेशा यादगार रहेगा। जब आए थे तो थोड़ा डर और एक्साइटमेंट था। आज जब डॉक्टर बन गए तो बेहद खुशी महसूस कर रहे हैं। ये खुशी लंबे वक्त तक साथ रहेगी।