इसकी सबसे बड़ी वजह विदेशी कोयले का सस्ता और अच्छा होना है। उद्योगपतियों का कहना है कि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) से प्रति टन कोयला 6000 रुपए से ज्यादा कीमत पर मिल रहा है, वहीं साउथ आफ्रीका के रिचर्ड बे कोल टर्मिनल सहित अन्य स्थानों से और इंडोनेशिया की कई खदानों से यह कोयला 5400 से 5500 रुपए प्रति टन में छत्तीसगढ़ पहुंच रहा है। विदेशों से कोयला फैक्ट्रियों तक पहुंचकर सस्ता पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफेक्चरिंग एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल नचरानी ने कहा कि कोल
इंडिया के चेयरमेन प्रमोद अग्रवाल से वीडियो कांफे्रसिंग में बातचीत के दौरान हमने अपनी मांगें रख दी है। कोल इंडिया का उद्योगपतियों पर स्थानीय कोयला लेने का दबाव है, जबकि क्वालिटी और कीमत की बात करें अभी तक एसईसीएल व कोल इंडिया की अन्य फर्मों से प्राइजिंग पर निर्णय नहीं लिया गया है। उद्योगों में उत्पादन जारी रखने के लिए विदेशों से कोयला मंगाना आवश्यकता की वस्तुओं में शामिल हो चुका है। स्थानीय कोयले से जहां उत्पादन लागत बढ़ेगी, वहीं उद्योगों की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होगी।
ये माल साउथ अफ्रीका इसका रेट
प्रति 5500 रुपए प्रति टन, 52-53 एफसी, 100 रुपए प्रति एफसी माल मिलता, एसईसीएल का ऑक्शन, बीज बोल आयात अच्छा सस्ता देते घर के बाजू का लेंगे। उन्होंने रेट निकालकर कोयला, घर आकर पड रहा है। 6000, टैक्स इतनी ज्यादा 48-50 मिल रहा है। 120 रुपए, सस्ता जबर, इंपोर्ट ड्यूटी एनर्जी सेस, एसईसीएल, साउथ आफ्रीक बंदरगांह 10 हजार किमी. बंदरगाह कितना ट्रैवल, एसईसीएस से सस्ता दे रहा है।
पहले अभी भी, कल अभी भी कोयला है। 10 लोग नाम, मैं करूंगा। अभी कोल इंडिया के पास देश के आत्मनिर्भर देने की सस्ता और अच्छा देना पड़ेगा। चर्चा कम बिलासपुर, कोलकाता हुई है। आज ऑक्शन था। 13 तारीख उनके पास बिका था। सस्ता कोयला, प्लांट में लगते वैल्यू कम रहता है। 25-40, कोल इंडिया आयात नहीं मंगाना है। विकल्प हम देंगे। वीडियो कांफे्रसिंग भी हुआ, स्पंज, वेस्ट बंगाल, विदर्श, प्रमोद अग्रवाल चेयरमेन के साथ 10 दिन पहले हुआ था। कहीं भी यह नहीं दिखा। खरीदा, खुद इतने महंगा है। प्रतिस्पर्धा क्वालिटी,
-ओडि़शा, कोयला इंडोनेशिया