प्रजापति ने कहा, सदन में हमारा आचरण और व्यवहार मीडिया के माध्यम से हमारे क्षेत्र की जनता के बीच जाता है। इसलिए चर्चा के दौरान गंभीरता और शीष्टता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, सदन में विधायकों की भाषा संयमित होनी चाहिए, जिससे किसी व्यक्ति विशेष की भावनाएं आहत न हों। नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने नए विधायकों को प्रश्नकाल की प्रक्रिया आदि पर आधे घंटे का व्याख्यान दिया।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा, संसदीय परंपराओं और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए मतदाताओं की अपेक्षाओं को पूरा करना सभी विधायकों की जिम्मेदारी है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, विधायकों को पक्ष-विपक्ष की भावना से उपर उठकर जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
प्रबोधन में संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल, मध्य प्रदेश विधान सभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह तथा छत्तीसगढ़ विधान सभा के सचिव चन्द्र शेखर गंगराड़े मौजूद थे।
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विधायकों को स्थगन, ध्यानाकर्षण, याचिका और अविलंबनीय लोक महत्व के विषयों की जानकारी दी। उन्होंन कहा, वे अपने 28 साल के संसदीय कार्य अनुभव के आधार पर यह कह सकते हैं कि सदन में अनिवार्य उपस्थिति और सक्रियता से ही क्षेत्र के बड़े-बड़े काम कराए जा सकते हैं।
आज दिग्विजय देंगे ज्ञान
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह रविवार को नए विधायकों को संसदीय ज्ञान देंगे। सिंह और उनकी पत्नी अमृता शनिवार को ही छत्तीसगढ़ पहुंच गए थे।