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विशेष लेख : किसान फिर से अपने जमीन के मालिक

locationरायपुरPublished: Dec 24, 2019 06:25:46 pm

Submitted by:

lalit sahu

बस्तर जिले के तहसील लोण्डीगुड़ा क्षेत्र में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए सन् 2008 में 10 ग्रामों बड़ांजी, बड़ेपरोदा, बेलर, बेलियापाल, छिन्दगांव, दाबपाल, धुरागांव कुटाकरागुड़ा एवं सिरसगुड़ा तथा तहसील तोकापाल के अंतर्गत ग्राम टाकरागुड़ा के 1700 से अधिक किसानों की लगभग 5 हजार एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई थी।

विशेष लेख : किसान फिर से अपने जमीन के मालिक

विशेष लेख : किसान फिर से अपने जमीन के मालिक

रायपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का लोहण्डीगुड़ा इलाका यहां के किसानों की जमीन पिछले सालों में अधिग्रहित कर इस्पात संयंत्र को दे दी गई थी, परंतु वहां पर इस्पात संयंत्र का काम शुरू नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किसानों, आदिवासियों, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और वंचित गरीबों के खुशहाली लाने के नेक इरादा रखने वाली सरकार ने अब लोहण्डीगुड़ा के किसानों की जमीन उन्हें फिर से सौंपकर जमीन का मालिक बना दिया है। किसान अब बेफिक्र होकर खेती किसानी का काम अपनी जमीन में करने लगे हैं।
बस्तर जिले के तहसील लोण्डीगुड़ा क्षेत्र में टाटा इस्पात संयंत्र के लिए सन् 2008 में 10 ग्रामों बड़ांजी, बड़ेपरोदा, बेलर, बेलियापाल, छिन्दगांव, दाबपाल, धुरागांव कुटाकरागुड़ा एवं सिरसगुड़ा तथा तहसील तोकापाल के अंतर्गत ग्राम टाकरागुड़ा के 1700 से अधिक किसानों की लगभग 5 हजार एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई थी। किन्तु कम्पनी द्वारा राज्य सरकार पत्र को लिखकर उद्योग लगाने में अपनी असमर्थता जताई थी। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में बनी सरकार ने किसानों को उनकी जमीन फिर से वापस दिलाने का फैसला लिया और किसानों की अधिग्रहित की गई जमीन लौटा दी। यह भी उल्लेखनीय है कि किसानों को जमीन के मुआवजे की राशि भी नही लौटानी पड़ी। किसान इसके पहले अपनी जमीन अधिग्रहित किए जाने से काफी परेशान थे। उनके बच्चों को पढऩे लिखने के लिए उनके जाति प्रमाण पत्र बनने में भी परेशानी आ रही थी। किसान खेतीहर मजदूर बनकर अपना जीवन यापन करने लगे थे।
सरकार ने उनकी समस्याओं को समझा और उन्हें फिर से जमीन का मालिक बना दिया। जमीन वापस मिलने से अब उन्हें खेती के लिए ऋण खाद बीज मिलेगा। उत्पादित धान को समर्थन मूल्य पर बेच पाएंगे। शासकीय राजस्व दस्तावेज में अब उनका नाम जुड़ गया है। अब किसान अपनी जमीन पर खेती बाड़ी कर नये सिरे से अपना जीवन संभालने में लग गए हैं।
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