इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज को अभी एक माह भी नहीं है और मरने वालों की संख्या 225 हो गई है, जबकि एम्स में विगत 6 माह के इलाज में सिर्फ 106 संक्रमितों की मौत हुई है। प्रदेश के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल में भी करीब 4-5 माह से कोरोना का इलाज चल रहा है, फिर भी 140 संक्रमितों ने दम तोड़ा है। निजी अस्पतालों में 124 की कोरोना से मौत हुई है, जबकि 101 कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से पीड़ित थे।
देवेंद्रनगर स्थित एक निजी अस्पताल में सबसे ज्यादा 44 की मौत हुई है। 23 सितंबर तक सिर्फ रायपुर में 471 की कोरोना से मौत हुई है। यह हम नही बल्कि जिला स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी आंकड़े बता रहे हैं। राजधानी के 12 निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के इलाज को अनुमति मिली है। 18 मार्च को प्रदेश का पहला कोरोना संक्रमित राजधानी में मिला था, जिसको एम्स में भर्ती कराया गया था। 29 मई को पहली मौत हुई थी।