थकान से परेशानमजदूरों ने बताया कि वह पिछले 4 दिनों से पैदल चल रहे हैं। कुछ जगहों पर वाहनों से लिफ्ट लेकर आना पड़ा। इतनी तेज गर्मी में आराम करने और नहाने धोने की व्यवस्था नही होने के कारण के बार शहर के बाहर रुकना पड़ा। मुंगेली निवासी महिला मजदूर भागमती और उनके बच्चों ने बताया की सर्वाधिक परेशानी उन्हें हुई है बाथरूम और नहाने की व्यवस्था नहीं होने के कारण कई दिनों तक वह बिना नहाए ही पैदल चलते रहे। थकान के कारण बच्चों के साथ सड़कों के किनारे ही सोना पड़ा है। वही सामान चोरी होने के डर भी उन्हें लगा रहता था। मजदूरों ने बताया कि वह 5 दिनों में सिकंदराबाद से किसी तरह रायपुर पहुँचे है।टाटीबंध में 30 बसें तैनातराज्य सरकार के निर्देश पर प्रवासी मजदूरों के लिए टाटीबंध चौक पर २० बड़ी यात्री बसों और १० स्कूलों बसों को तैनात किया गया था। इनके जरिए बलौदाबाजार, मुंगेली, बिलासपुर, बेमेतरा, कवर्धा, रायगढ़ अंबिकापुर, वाड्रफनगर, रामानुगंज के साथ ही झारखंड के मजदूरों को भेजा गया। बसों को सेनिटाइज करने के बाद बैठाए मजदूरन गर निगम जोन 8 ने टाटीबंध चौक में प्रवासी मजदूरों को ले जाने के कार्य में लगी बसों को अभियान चलाकर डिसइन्फेक्टेड कर सेनिटाइज किया। जोन कमिश्नर प्रवीण सिंह गहलोत ने बताया कि टाटीबंध चौक के पास एकत्रित हो रहे प्रवासी मजदूरों को ले जाने के कार्य में लगी बसों को डिसइन्फेक्टेड करने एंटी कोरोना वायरस स्प्रे अभियान चलाकर सेनिटाइज कराया गया।[typography_font:14pt;” >रायपुर . क्या बताए साहब! हम हैदराबाद से तीन दिन पहले घर जाने के लिए निकले थे। हमें महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश की सीमा पर घंटों रोका गया। इसके बाद जैसे तैसे वहां से निकले। तेज गर्मी, भूख प्यास सहते हुए पैदल तो कभी ट्रक पर लिफ्ट मिली। घर पहुंचने की आस में लाखों दुश्वारियों के बीच जब टाटीबंध चौक पहुंचे तो यहां घर जाने के लिए बसें, भोजन पाकर काफी सुकून मिला। यह कहना है विजयवाड़ा से आ रहे मुंगेली के राजकुमार की। अपने घर वाड्रफनगर जा रहे अजय कुमार ने भी कुछ इसी तरह का अनुभव साझा किया। प्रदेश में पिछले दिनों की अपेक्षा पैदल आने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या में कमी आई है। इस समय औसतन 600 मजदूर महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और गुजरात से आ रहे हंै। इसमें से अधिकांश मजदूर झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के हैं। पार्षद ने बांटा ग्लूकोज का पैकेट व पानी बोतल कोरोना के खौफ के चलते दीगर राज्यों से अपने-अपने घर के लिए लौट रहे प्रवासी मजूदरों को गुरुवार को पार्षद व एमआईसी सदस्य जितेंद्र अग्रवाल ने ग्लूकोज और पानी की बोतलें बांटी। इस दौरान करीब 100 से अधिक मजूदरों को ग्लूकोज और पानी की बोतलें पार्षद अग्रवाल अपने समर्थकों के साथ बांटी। उन्होंने बताया कि मीलों पैदल चलकर रायपुर से होकर अपने गृह राज्य लौट रहे मजदूरों को पानी की बोतलें बांटी जा रही है, साथ ही थकान दूर करने के लिए ग्लूकोज के पैकेट भी दिए गए, ताकि बिना थके वे अपने घर पहुंच सकें।