
- सामाजिक पदाधिकारी नहीं करा सकते पति-पत्नी के बीच तलाक
रायपुर. राज्य महिला आयोग में आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक एवं सदस्य नीता विश्वकर्मा की उपस्थिति में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। एक मामले में आयोग ने कहा कि सामाजिक पदाधिकारी पति-पत्नी के बीच तलाक नहीं करा सकते। आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया सुनवाई में आरोपी पति समाज के पदाधिकारियों के साथ आयोग के सामने उपस्थित हुए। समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि पति ने अपने पत्नी को तलाक लेने के लिए समाज के समक्ष आया था। उस समय भी पत्नी अपने पति के साथ मे रहने के लिए तैयार थी, पति ने पत्नी को साथ में रखने को तैयार नहीं था।
समाज के पदाधिकारियों ने बताया आरोपी पति द्वारा 9 और 10 वर्षीय बच्चों को भी छोड़ रखा है, पिछले 10 माह से भरण पोषण राशि नहीं दिया है। पति एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कवर्धा में सिक्युरिटी गार्ड के पद पर कार्य करता है। आयोग द्वारा प्रकरण को विस्तार से सुना जिसमें पति अपने पत्नी से पीछा छुड़ाने के लिए समाज के लोगों का दुरुपयोग कर रहा था, और स्पष्ट है पति पत्नी को साथ को तैयार नहीं है, और पत्नी को भरण पोषण राशि भी नहीं दे रहा है।
आयोग को मासिक वेतन के सम्बंध में गलत जानकारी दिया। अध्यक्ष द्वारा एसबीआई कार्यालय में बात करने पर आरोपी पति ने स्वीकारते हुए आयोग के समक्ष बच्चों के स्कूल फीस और पढ़ाई का खर्च स्वयं वहन के साथ अपने पत्नी को आयोग द्वारा निर्धारण किए प्रति माह पांच हजार रुपए भरण पोषण देने की बात स्वीकारी। साथ ही पत्नी ने आयोग से निवेदन किया कि बच्चों सहित ससुराल वाले गांव में रहना चाहती है इस पर पति किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं करे आगामी सुनवाई में इस प्रकरण का निराकरण किया जाएगा।
Published on:
25 Nov 2021 10:35 am
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