scriptकिसी ने छोड़ा घर, तो कोई इलेक्ट्रिशियन से बन गया साधु | story of sadhoo at Rajim Kumbh Kalp 2018 | Patrika News

किसी ने छोड़ा घर, तो कोई इलेक्ट्रिशियन से बन गया साधु

locationरायपुरPublished: Feb 12, 2018 01:30:49 pm

Submitted by:

Tabir Hussain

कुछ साधु व बाबा से बात कर उनसे जानने का प्रयास किया कि वे कैसे बाबा या साधु बने। इस दौरान कुछ रोचक किस्से भी निकलकर आए।

Rajim Kumbh
ताबीर हुसैन@रायपुर. राजधानी से 45 किमी की दूरी पर स्थित त्रिवेणी संगम राजिम कुंभ कल्प जारी है। यहां आने वाले साधुओं के लिए रेत में कुटिया और डोम का नगर बसाया गया है। हर साल की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में साधु-संत आए हुए हैं। नागा साधु विशेष आकर्षण का केंद्र रहते हैं। वे अपने निराले अंदाज में धूनी रमाए बैठे रहते हैं। लोगों में हमेशा से साधु-संतों की जीवन शैली को लेकर जिज्ञासा रही है। वे उनके जीवन के रहस्य को जानने को उत्सुक रहते हैं। चूंकि माना जाता है कि बाबा या संत सांसारिक सुखों का त्याग कर अलग दुनिया में जीते हैं। हमने यहां आए कुछ साधु व बाबा से बात कर उनसे जानने का प्रयास किया कि वे कैसे बाबा या साधु बने। इस दौरान कुछ रोचक किस्से भी निकलकर आए।
Rajim Kumbh

दूध का था कारोबार

ब्रह्म ऋषि नागा नरेंद्र पुरी भभूतिया जो कि सूपाताल बजरंग मठ गड़हा जबलपुर से यहां पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि घर में दूध का बड़ा कारोबार था। लेकिन मन कभी भी नहीं लगा। ९ साल की उम्र में माता-पिता से आशीर्वाद लेकर घर छोड़ दिया। मां ने कहा था कि लौट के मत आना। पिछले वर्ष माताजी का देहांत 103 साल की उम्र में हो गया। गुरुजी ने सूचना दी। लेकिन मां ने कहा था कभी नहीं लौटना, सो हमने उनकी आज्ञा मानी।
Rajim Kumbh

दिनेश सिंह से बन गए दिनेश पुरी

जूना अखाड़े के नागा साधु दिनेश पुरी 58 वर्ष के हो चके हैं। उन्होंने बताया कि 20 साल की उम्र में वे बिजली फिटिंग का काम करते थे। किसी भी धार्मिक स्थल में काम का पैसा कभी नहीं लिया। क्योंकि मन में एेसा था कि धर्म के लिए कुछ करना है। धर्म के प्रति खिंचाव बढ़ता गया और उन्होंने सांसारिक जीवन से वैराग्य ले लिया।
Rajim Kumbh

वैदिक पर्यावरण में पीएचडी
संपूर्णानंद विवि बनारस से वैदिक पर्यावरण में शोध कर पीएचडी होल्डर आनंदेश्वर का दावा है कि वे लोगों के मन के सवाल जान जाते हैं। ग्वालियर के रहने वाले गृहस्थ संत ने ज्योतिष वेद में एमए किया है। ३६ वर्षीय बाबा का कहना है कि वे लोगों की समस्याओं का समाधान निशुल्क करते हैं।

Rajim Kunbh

सरकारी नौकरी वाले बाबा

राजधानी में सरकारी नौकरी करने वाले रोहिणीपूरम गोल चौक निवासी गौतम सिंह नागेश ने भोलेनाथ के उपासक हैं। इनका दावा है कि वे दूध और पानी के अलावा हरी मिर्च खाते हैं। अन्न त्याग दिया है। इन्होंने दूसरी शादी की है। पहली पत्नी की मौत प्रेग्नेंसी के दौरान हो गई। तब से इनका मन अन्न से टूट गया। मजेदार बात ये है कि वे भारतीय भूवैज्ञानिक में सर्वेक्षण में वाहन चालक की नौकरी भी कर रहे हैं।

12वीं के बाद आया विचार

महंत सुबोधा नंद गिरी जूना अखाड़ा हरिद्वार से आए हैं। वे कहते हैं कि १२वीं तक तो हमने सोचा ही नहीं था कि वैराग्य ले लेंगे। कॉलेज भी किया। बीए करने के बाद ईश्वर की कृपा हुई और हमने दुनियादारी से किनारा कर लिया। वे कहते हैं मां-बाप को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्हें सुख देने से हमें जो सुख मिलेगा उसका कोई मुकाबला नहीं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो