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यहां लगती है देवी-देवताओं की अदालत, इस अपराध पर मिली है ऐसी दर्दनाक सजा

locationरायपुरPublished: Sep 06, 2018 10:00:51 pm

यहां लगती है देवी-देवताओं की अदालत, इस अपराध पर मिली है सजाए मौत

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यहां लगती है देवी-देवताओं की अदालत, इस अपराध पर मिली है ऐसी दर्दनाक सजा

रायपुर. इंसानों के गुनाहों की सजा देने लिए जिस तरह से अदालत में जज अपना फैसला सुनाते है ठीक उसी तरह छत्तीसगढ़ में देवी-देवता किसी शख्स के के जुर्म साबित होने पर सजाए मौत या फिर अन्य सजा देते हैं। यह सब आपको थोड़ी अटपटी जरूर लग रही होगी, लेकिन छत्तीसगढ़ के केशकाल जिले में कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है। भादो माह के कृष्णपक्ष में देवी-देवताओं की अदालत में हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। जानिए ये अनोखी परंपरा..

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8 तारीख को लगेगा देवी-देवताओं का मेला
बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र केशकाल में 8 सितंबर को तेलीन सती मांई मंदिर व टाटामारी पर्यटन मार्ग के समीप भंगाराम देवी दरबार पर क्षेत्र के देवी देवता का मेला लगेगा। यहां पर देवी देवताओं से वर्ष भर में किए गए लोगों के कार्यों का हिसाब किताब व लेखा-जोखा होता है। इस दौरान देवी-देवताओं को उनके ठीक कार्य नहीं करने पर उसे सजा सुनाई जाती है ।

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भक्तों की शिकायत के अधार पर मिलती है सजा
आपको बात दें कि आदिम संस्कृति में कई ऐसी व्यवस्थाएं है जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जिन देवी देवताओं की पूरी आस्था के साथ पूजा अर्चना की जाति है उन्हीं देवी देवताओं को भक्तों की शिकायत के आधार पर सजा भी मिलती है।

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इस अदालत में जिस तरह से अदालत लोगों को निलंम्बन-बर्खास्तगी और गंभीर अक्षम्य अपराध पर सजाए मौत की सजा सुनाती है ठीक उसी तरह यहां देवी देवता भी दोष सिद्ध होने पर अपराधी को सजा सुनाती है। वहीं, जो शख्स अच्छा कार्य करता है। उसे उच्च कोटी का दर्जा दिया जाता है।
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हर वर्ष लगता है मेला
छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल केशकाल में लगने वाले इस मेला को जातरा का मेला कहते हैं। यह हर वर्ष भादो माह के कृष्णपक्ष के दिन होता है। इस बार शनिवार के दिन भादो जातरा का आयोजन किया जा रहा है। बारह मोड़ो के सर्पीलाकार कहे जाने वाली घाटी के ऊपर देवी देवताओं का मेला लगेगा। जातरा के पहले छ: शनिवार को सेवा (विशेष पूजा) की जाती है और सातवें अंतिम शनिवार को जातरा का आयोजन होता है।

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शनिवार के दिन ही होता है यह मेला..

जातरा के दिवस क्षेत्र के नौ परगना के देवी देवता के अलावा पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता मुख्या भी बड़ी संख्या में शामिल होते है । यह मेला शनिवार के दिन ही लगता है, क्षेत्र के विभिन्न देवी देवताओं का भंगाराम मांई के दरबार में अपनी हाजरी देना अनिवार्य होता है।
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यहां महिलाओं का आना माना
जातरा के दिन भंगाराम मांई के दरबार पर महिलाओं का आना प्रतिबंधित होता है। सभी देवी देवताओं को फुल पान सुपारी मुर्गा बकरा बकरी देकर प्रसन्न किया जाता है, वहीं भंगाराम मांई के मान्यता मिले बिना किसी भी नए देव की पूजा का प्रावधान नहीं है। महाराष्ट्र के डॉक्टर पठान देवता भी है जिन्हें डाक्टर खान देव को चढाने के लिए अंडा लाना नहीं भूलते क्योंकि खान देव को बलि नहीं चढता इसलिए उन्हें अंडा ही चढाया जाता है। देवी देवताओं के मेला में क्षेत्र व दूरदराज के हजारों लोग इस देव मेला में शामिल होते है।

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