8 तारीख को लगेगा देवी-देवताओं का मेला
बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र केशकाल में 8 सितंबर को तेलीन सती मांई मंदिर व टाटामारी पर्यटन मार्ग के समीप भंगाराम देवी दरबार पर क्षेत्र के देवी देवता का मेला लगेगा। यहां पर देवी देवताओं से वर्ष भर में किए गए लोगों के कार्यों का हिसाब किताब व लेखा-जोखा होता है। इस दौरान देवी-देवताओं को उनके ठीक कार्य नहीं करने पर उसे सजा सुनाई जाती है ।
भक्तों की शिकायत के अधार पर मिलती है सजा
आपको बात दें कि आदिम संस्कृति में कई ऐसी व्यवस्थाएं है जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जिन देवी देवताओं की पूरी आस्था के साथ पूजा अर्चना की जाति है उन्हीं देवी देवताओं को भक्तों की शिकायत के आधार पर सजा भी मिलती है।
हर वर्ष लगता है मेला
छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल केशकाल में लगने वाले इस मेला को जातरा का मेला कहते हैं। यह हर वर्ष भादो माह के कृष्णपक्ष के दिन होता है। इस बार शनिवार के दिन भादो जातरा का आयोजन किया जा रहा है। बारह मोड़ो के सर्पीलाकार कहे जाने वाली घाटी के ऊपर देवी देवताओं का मेला लगेगा। जातरा के पहले छ: शनिवार को सेवा (विशेष पूजा) की जाती है और सातवें अंतिम शनिवार को जातरा का आयोजन होता है।
शनिवार के दिन ही होता है यह मेला..
जातरा के दिवस क्षेत्र के नौ परगना के देवी देवता के अलावा पुजारी, सिरहा, गुनिया, मांझी, गायता मुख्या भी बड़ी संख्या में शामिल होते है । यह मेला शनिवार के दिन ही लगता है, क्षेत्र के विभिन्न देवी देवताओं का भंगाराम मांई के दरबार में अपनी हाजरी देना अनिवार्य होता है।यहां महिलाओं का आना माना
जातरा के दिन भंगाराम मांई के दरबार पर महिलाओं का आना प्रतिबंधित होता है। सभी देवी देवताओं को फुल पान सुपारी मुर्गा बकरा बकरी देकर प्रसन्न किया जाता है, वहीं भंगाराम मांई के मान्यता मिले बिना किसी भी नए देव की पूजा का प्रावधान नहीं है। महाराष्ट्र के डॉक्टर पठान देवता भी है जिन्हें डाक्टर खान देव को चढाने के लिए अंडा लाना नहीं भूलते क्योंकि खान देव को बलि नहीं चढता इसलिए उन्हें अंडा ही चढाया जाता है। देवी देवताओं के मेला में क्षेत्र व दूरदराज के हजारों लोग इस देव मेला में शामिल होते है।