सूरजपुर के बारे में पढ़ा था
हेमंत कहते हैं कि आज से 4 साल पहले सूरजपुर में स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पढ़ा। तब से सोचा कि क्यों न इसे यहां लगाया जाए। हालांकि यह इतना आसान नहीं था। उधर और इधर की आबोहवा में फर्क है। स्ट्रॉबेरी के लिए ठंडा इलाका चाहिए होता है। हेमंत ने 30 प्लांट मंगवाए और इतने में ही ड्रिप एरिगेशन तकनीक से शुरुआत की। चूंकि इसके प्लांट से ही ब्रांचेज बढ़ाई जा सकती है। अभी वे 15 हजार वर्गफीट जमीन पर इसे उपजा रहे हैं।
मार्केटिंग में दिक्कत
हेमंत कहते हैं कि यह फ्रुट काफी सेंसटिव होता है। हालांकि मैंने इसे कमर्शियल तौर पर ही लगाने की सोचा था लेकिन आप मौसम से नहीं जीत सकते। ये फल हिल स्टेशन में खूब फलता-फूलता है। बात छत्तीसगढ़ की करें तो सूरजपुर में इसकी अच्छी खेती होती है, वहीं राजनांदगांव में हल्टीकल्चर विभाग भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
रायपुर से लगा इलाका है कुम्हारी
हेमंत स्ट्रॉबेरी की खेती कुम्हारी में कर रहे हैं जो कि राजधानी से लगा हुआ इलाका है। उन्होंने बताया कि चूंकि मौसम ऐसा नहीं है कि हम स्ट्रॉबेरी की बेहतर मार्केटिंग कर सकें इसलिए यह रिलेटिव में ही बंट जाता है। चूंकि मैंने यहां एक प्रयोग के तौर पर इसकी खेती की है। नतीजे उतने अच्छे नहीं आए हैं और यह स्वाभाविक भी है। क्योंकि हर स्थान पर हर चीज की खेती संभव भी नहीं है।