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एडवोकेट से बन गए किसान, कर दिया एक्सपेरिमेंट, कुम्हारी में कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती

locationरायपुरPublished: Feb 27, 2019 01:51:09 pm

Submitted by:

Tabir Hussain

स्ट्रॉबेरी डे पर जानिए शहर के हेमंत की कहानी

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एडवोकेट से बन गए किसान, कर दिया एक्सपेरिमेंट, कुम्हारी में कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती

ताबीर हुसैन @ रायपुर. अमूमन लोग पैशन और कॅरियर में किसी एक को चुनने की बात आती है तो वे पैशन को ही कॅरियर में कन्वर्ट कर लेते हैं। इसके पीछे रीजन ये है कि जिस काम को करने में सेटेस्फेक्शन मिले वही किया जाए। शहर के हेमंत सिंघानिया का किस्सा भी कुछ एेसा ही है। सिविल लाइन निवासी हेमंत ने पुणे में लॉ किया और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस भी। लेकिन कहीं न कहीं उनका मन एग्रीकल्चर की ओर भागता। हालांकि हेमंत के परिवार में धान और गेहूं की खेती की जाती रही है। जब हेमंत ने घर वापसी की सोची उससे पहले ही तय कर रखा था कि एग्रीकल्चर में एक्सपेरिमेंट करना है। उन्होंने स्ट्रॉबेरी को चुना। हालांकि वे इसकी खेती को कमर्शियल स्वरूप नहीं दे पाए हैं। आज स्ट्रॉबेरी डे पर हेमंत की कहानी उन्हीं की जुबानी।

सूरजपुर के बारे में पढ़ा था
हेमंत कहते हैं कि आज से 4 साल पहले सूरजपुर में स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पढ़ा। तब से सोचा कि क्यों न इसे यहां लगाया जाए। हालांकि यह इतना आसान नहीं था। उधर और इधर की आबोहवा में फर्क है। स्ट्रॉबेरी के लिए ठंडा इलाका चाहिए होता है। हेमंत ने 30 प्लांट मंगवाए और इतने में ही ड्रिप एरिगेशन तकनीक से शुरुआत की। चूंकि इसके प्लांट से ही ब्रांचेज बढ़ाई जा सकती है। अभी वे 15 हजार वर्गफीट जमीन पर इसे उपजा रहे हैं।

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मार्केटिंग में दिक्कत
हेमंत कहते हैं कि यह फ्रुट काफी सेंसटिव होता है। हालांकि मैंने इसे कमर्शियल तौर पर ही लगाने की सोचा था लेकिन आप मौसम से नहीं जीत सकते। ये फल हिल स्टेशन में खूब फलता-फूलता है। बात छत्तीसगढ़ की करें तो सूरजपुर में इसकी अच्छी खेती होती है, वहीं राजनांदगांव में हल्टीकल्चर विभाग भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

रायपुर से लगा इलाका है कुम्हारी
हेमंत स्ट्रॉबेरी की खेती कुम्हारी में कर रहे हैं जो कि राजधानी से लगा हुआ इलाका है। उन्होंने बताया कि चूंकि मौसम ऐसा नहीं है कि हम स्ट्रॉबेरी की बेहतर मार्केटिंग कर सकें इसलिए यह रिलेटिव में ही बंट जाता है। चूंकि मैंने यहां एक प्रयोग के तौर पर इसकी खेती की है। नतीजे उतने अच्छे नहीं आए हैं और यह स्वाभाविक भी है। क्योंकि हर स्थान पर हर चीज की खेती संभव भी नहीं है।

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