पॉवर बैंक कैरी करने की जरूरत लगभग खत्म हो जाएगी, क्योंकि आपके कपड़े, हैंडपर्स जैसे सामान ही पॉवर बैंक की तरह काम करेंगे। यह सोलर सेल इतने लाइट वेट और फैलेक्सिबल होगा कि इसे कहीं भी चिपकाया जा सकेगा। मोड़ा जा सकेगा। अभी तक जो सोलर पैनल इस्तेमाल में लाए जाते हैं, उनको मोड़ा नहीं जा सकता। वे कठोर धातु के बने होते हैं। वजन में भारी भी होते हैं, इसलिए इनको आसानी से कैरी नहीं कर सकते, नए सेल इस समस्या को दूर कर देगी।
आठ गुना कम हो जाएगी कीमत
आम तौर पर ऑफिस व सड़कों पर पुराने सिलिकॉन सोलर सेल देखे जा सकते हैं। सोलर सेल में कुछ बदलाव कर इसे थर्ड जनरेशन के हिसाब से बनाया जा रहा है, जो पूरी तरह से लचीला होगा। पैनल को किसी भी आकार में मोड़ा जा सकेगा, जबकि इससे इसकी क्षमता कम नहीं होगी। अभी वर्तमान में मिलने वाले सोलर सेल की तुलना में इसकी कीमत भी 8 गुना कम हो जाएगी।
मिली पीएम फैलोशिप
आईआईटी भिलाई के पीएचडी स्कॉलर अरुण कुमार इस पर शोध कर रहे हैं। आइडिया को आईआईटी दिल्ली ने भी सराहा है। उन्हें इस आइडिया के लिए प्रधानमंत्री रिचर्स फैलोशिप के लिए चयनित किया गया है। पांच साल तक 80 हजार रुपए प्रति माह तक का मासिक मानदेय मिलेगा। वहीं सालाना 2 लाख रुपए के अनुसंधान अनुदान के लिए भी पात्र होंगे।