पैरेंट्स को फिक्र थी, क्या करेगा लाइफ में
पढ़ाई के मामले में मैं शुरू से बिलो एवरेज रहा हूं। कहीं भी स्थायी नहीं रहा। न इंटर्नशिप में न किसी जॉब में। इसलिए पैरेंट्स (रवि-मुध कामरा) की फिक्र लाजिमी है कि इसका क्या होगा। अन्ना आंदोलन में मैंने ब्लागिंग की है। उस वक्त मुझे पता था कि लिखना मेरे बस की बात नहीं। स्टॉक मार्केट में रुचि थी। मुझे लगता था कि शेयर मार्केट एक ऐसी चीज है जिसके लिए मैं पैशनेट हूं। बिना पूंजी के यूट्यूब ही ऐसा ऑप्शन था जहां मैं इस नॉलेज को लोगों तक पहुंचाने के लिए बेहतर मान रहा था। वीडियोज बनाने में मुझे मजा आता था। शुरू के 6 महीने स्ट्रगल के थे लेकिन वो स्ट्रगल के दिन भी ऐसे थे कि मैं इसको छोड़ दूं तो जाऊं कहां। हलांकि स्टॉक मार्केट से मैं अर्निंग कर रहा था लेकिन उसमें एक चीज ये होती है कि आपको पैसे रेगुलर नहीं मिलते। महीने के आपको 30 से 40 हजार मिल जाएं ऐसा शेयर बाजार में नहीं होता। जब बाजार अच्छा कर रहा है तो हो सकता है आपका पैसा किसी महीने डबल हो जाएगा लेकिन फिर साल भर तक कोई अर्निंग नहीं आएगी। शेयर बाजार के भरोसे रहना वाजिब नहीं था। चूंकि शेयर बाजार में मजा था, रोज शेयर के एनालाइज करना उसके बारे में पढऩे में मुझे बहुत मजा आता था।पैरेंट्स के लिए आज भी वैसा ही बच्चा हूं
पहले उन्हें किसी और कारण से चिंता होती थी कि ये क्या करेगा जीवन में अपने पैरों में खड़ा कैसे होगा। अब चिंताएं बदल जाती हैं कि कहीं इसको बिजनेस का स्ट्रेस तो नहीं है, ये अपने हैल्थ् को टाइम दे रहा है या नहीं कभी रहता कि शादी कब करेगा कभी ये रहता है कि अगला बिजनेस डिसीजन क्या लेगा, सब ठीक चल रहा है कि नहीं, एम्प्लाई के साथ कोई प्रॉब्लम तो नहीं है तो घर वाले कोई न कोई चिंता का बहाना ढूंढ लेते हैं और ये भी तलाश लेते हैं किकहां आप गलत हो। तो घर वालों के लिए तो आज भी मैं वैसा ही बच्चा हूं कोई भी मौका ढूंढ के मुझे सुधारने की कोशिश कर ते हैं। मैं अभी 27 का हूं। अभी कोई प्लान नहीं है। 30 के आसपास जब तक मैं घर वालों को टाल सकूं।
खुशी और लुत्फ के लिए करता रहा
वीडियो बनाने में भी लुत्फ आने लगा। भले 6 आठ महीने चल नहीं रहा है लोग देख नहीं रहे हैं लेकिन मैं वो कर रहा हूं जिसमें मुझे आनंद आता है। हर वो बच्चा जो गली में क्रिकेट खेलता है वो इसलिए नहीं खेलता कि उसे देश का सबसे बड़ा क्रिकेटर बनना है बल्कि वो इसलिए खेलता कि वह एंजॉय कर रहा है। शुरुआती तौर पर भले ही 100 लोग देखें, 200 लोग देखें या 500, उन्हें कुछ सीखने को मिल रहा है फीडबैक अच्छा है। शुरू के 60 वीडियो चले ही नहीं। चाहे वो 60 होते या 200 होते मुझे रोमांच आ रहा था तो मैं करता रहा।
कभी सोचा नहीं था इतने सब्सक्राइबर होंगे
सोचा नहीं था क्योंकि तब मैंने शुरू किया था उस वक्त के बड़े फाइनेंसिल चैनल थे उनके भी 3 से 4 लाख सब्सक्राइबर होते थे तबकी मेरी समझ ये थी इस कैटीगरी को देखने वाले ज्यादा से ज्यादा 5 लाख लोग ही होंगे और इससे ज्यादा मिल ही नहीं सकते। उस वक्त मिलियंस में सब्सक्राइबर होंगे उम्मीद नहीं थी। यूजुअली आप सबसे बड़े चैनलसे ही कंपेरिजन करते हो कि अच्छा इसके अगर 8 लाख सब्सक्राइबर हैं तो 8 लाख लोग हैं जो इसे देखते हैं।
यूट्यूबर इन बातों का रखेंगे ध्यान तो जरूर होंगे सक्सेस
पहली ये कि अनलिमिटेड पेशेंस रखें। कई लोगों ने शुरू किया और बंद कर दिया। शिकायत ये कि अगर आप कोई भी जॉब करते हैं। आप चाहें लॉयर हों या सीए। उसके पीछे आपकी 4 से 5 सााल की पढ़ाई होती है। अगर आप बिजनेस करते हैं तो प्लाङ्क्षनग करते हैं सेटअप करते हैं। उसे थोड़ा बहुत भी चलने में सालभर लग जाता है। लेकिन जब हम यूट्यूब में आते हैं तो हमें लगता है कि पहला वीडियो बनाऊं और वायरल हो जाऊं। क्यों हम यूट्यूब पर भी सालभर की मेहनत नहीं करना चाहते। हम बिजनेस में सालभर मेहनत करें। पूंजी भी लगाएं। बिजनेस अगर न चले तो सालभर में 4-5 लाख तो डुबा ही देते हैं। यूट्यूब में आप पूंजी भी नहीं लगा रहे लेकिन दो वीडियो भी न चलें तो आप लगता है यार यूटयृूब ने मेरे साथ धोखा किया।हमेशा इनोवेटिव कंटेट बनाते रहिए
बिजनेस डूबता है जॉब्स छूटती हैं तब हम शिकायत नहीं ंकरते । यूट्यूब से हम क्यों उम्मीद करते हैं कि बस मेरे को स्टार बना दो । सालभर दो। पूंजी न लग रही शुक्र मनाएं। हमेशा इनोवेटिव कंटेट बनाते रहिए। आप पेशेंस रखें। 50 से 60 वीडियो आप बनाएंगे तो इंप्रूव भी करेंगे। हो सकता है कि आपने शुरू के 10 वीडियो इतने बुरे बनाए हैं कि वे चलने के लायक भी नहीं है। जैसे जैसे इंप्रूव करेंगे तो जो भी आपको देखेगर वो लोगों में फैलाएगा।
अब हवाहवाई वाली बातें नहीं चलेंगी
ये होता है कि यार उसने यूट्यूब चैनल शुरू किया था और उसे कितनी सक्सेस मिल गई। तो हर किसी को लगता है कि यह किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि आप कौन सा टॉपिक चुनें जिसके लिए आपको वीडियोज बनाने हैं
क्योंकि हर कोई वीडियोज बना रहा है तो कॉम्पीटिशन बढ़ गया है। हर कैटीगरी में पहले से 10 गुना ज्यादा चैनल हो गए हैं। आपको अपने चैनल को कुछ हटके देना है ओर बहुत ज्यादा इनडेप्थ कंटेट देना है। अब हवाहवाई वाली बातें नहीं चलेंगी। तो जब भी आप टॉपिक के बारे में सोच रहे हैं कि मैं किस बारे में वीडियोज बनाऊं। तो हमेशा एक सवालखुद से पूछें कि जिस भी टॉपिक के बारे में मैं सोच रहा हूं क्या उस चीज के बारे में मैं इतना जानता हूं कि कम से कम मैं उस पर 100 वीडियो बना पाऊं। अगर आपको लगता है कि मेरी नॉलेज इतनी है कि 5 से 10 वीडियो बना पाऊंगा। तो कैटीगरीजी ऐसी हो जिसमें आप आज चाहें जो 100 स्क्रिप्ट लिख सकें। तो अगर आपकी एक्सपीटिस किसी भी फील्ड में इतनी है कि 100 वीडियो बना सकें तोउसिि टॉपक को चुनें। डेफिनेटली आप उस चीज में अच्छे हैं कंटेस्टेंट हैं तो बहुत ज्यादा टैंसी होने की जरूरत नहीं। अलग हटके का मतलब ये नहीं कि आप कुछ भी कर लें।
यूट्यूब आपकी कंस्टेंसेंसी को रिवॉर्ड करता है
कोई गैरकानूनी काम कर लें, किसी को बदनाम कर लें या तहलका सनसनी टाइप की चीज कर लें क्योंकि वो सस्टेनेबबल नहीं है। शुरू के 10 से 15 वीडियो में कोई रिस्पांस भी न आए। मेरे 60 वीडियो में रिस्पांस नहीं आए मुझे पता है कि 99 प्रतिशत लोग शुरुआती रुझान देखकर डरकर या थककर भाग जाएंगे। यूट्यूब आपकी कंस्टेंसेंसी को रिवॉर्ड करता है वो ये देखता है कि कितने बार आप बिना थके लगातार वीडियोज डाले जा रहे हैं जैसे आप किसी कंपनी में एम्प्लाई हायर करना चाहते हैं तोआप भी ये गुण उसमें देखते हैं कि वो मेहनती हो। इसी तरह यूट्यूब के लिए हम सभी एम्प्लाई ही हैं तो यूट्यूब भी अपने एम्प्लाई को ही रिवॉर्ड करता है।