पीडि़तों की याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट ने 2016 में जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश के खिलाफ कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए। कोर्ट ने मामले में स्थगन आदेश दे दिया। अब अदालत ने साफ कहा है कि हमने जांच प्रक्रिया को रोकने को लेकर स्थगन आदेश नही दिया था।
मामले में कलक्टर व तहसीलदार के खिलाफ लंबित जांच को आगे बढ़ाया जा सकता है। जिला पंचायत दंतेवाड़ा के पास बैजनाथ नामक व्यक्ति की 3.67 एकड़ कृषि भूमि थी। बैजनाथ से इस जमीन को 4 लोगों ने खरीदा। बाद में स्थानीय प्रशासन ने विकास भवन बनाने के नाम पर इस जमीन को लेकर दंतेवाड़ा में बसस्टैंड के पास करोड़ों की व्यावसायिक भूमि और कुछ कृषि भूमि के साथ इसकी अदला-बदली कर ली। उस समय चौधरी दंतेवाड़ा कलक्टर थे।
15 दिनों के भीतर पूरी की प्रक्रिया
बताया जा रहा है कि वर्ष-2011 में ओ.पी. चौधरी दंतेवाड़ा जिले के कलक्टर बनकर आए थे। बैजनाथ से जमीन खरीदने वाले चार लोगों ने कलक्टर चौधरी के सामने जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव रखा। मार्च-2013 में राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, पटवारी और एसडीएम ने मिलकर सिर्फ 15 दिनों के भीतर ही इन चारों की निजी जमीन के बदले में सरकारी भूमि देने की प्रक्रिया पूरी कर डाली। जिस जमीन को बैजनाथ से इन लोगों ने मात्र 10 लाख रुपए में खरीदा था, उसे यह लोग 25 लाख रुपए में बेंच दिया। उसके बदले में दंतेवाड़ा के बसस्टैंड के पास व्यावसायिक भूमि के साथ दो अन्य स्थानों पर जमीन पर मालिकाना हक पाने में सफल रहे।
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