रायपुरPublished: Oct 05, 2019 08:08:31 pm
bhemendra yadav
23 नवंबर 2011 को छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित रुआबांधा बस्ति में हुए नरबलि प्रकरण के आरोपियों को दी गई फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
रायपुर. 23 नवंबर 2011 को छत्तीसगढ़ के भिलाई स्थित रुआबांधा बस्ति में हुए नरबलि प्रकरण के आरोपियों को दी गई फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। दंपति की याचिका पर तीन सदस्यीय पीठ न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने सुनवाई करते हुए फैसले को सही पाया है।
इस फैसले के बाद अब कथित तांत्रिक ईश्वर लाल यादव और उसकी पत्नी किरण बाई को मौत की सजा होगी। इस दंपति ने दो साल के बच्चे का अपहरण करके उसकी बलि दे दी थी। इस मामले में सात आरोपियों को तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मार्च 2014 में फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को अब बरकरार रखा है।
दिल दहला देने वाले भिलाई नरबलि कांड में सुप्रीम कोर्ट ने दो मुख्य आरोपियों समेत 7 को दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है। तांत्रिक दंपति समेत 7 आरोपियों को दुर्ग न्यायालय ने 2014 में फांसी की सजा सुनाई थी। दो साल के बच्चे के नरबलि देने को कोर्ट ने रेयरेस्ट ऑफ रेयर बताते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
दुर्ग कोर्ट के इतिहास का सबसे बड़ा फैसला
जिला कोर्ट के इतिहास में इस नरबलि मामले में फैसला सबसे बड़ा फैसला माना गया। मिट्टी में लगे खून का मिलान होना व गवाही के आधार पर तत्कालीन न्यायाधीश गौतम चौरडिय़ा ने सात आरोपियों को फांसी की सजा दी थी।
ये है पूरी घटना
घटना 23 नवंबर 2011 की है। आरोपी दंपति खुद को तांत्रिक बताते थे। उनके शिष्य भी थे। कथित तांत्रिक इश्वर यादव और उसकी पत्नी किरण इस घटना में शामिल थे। जानकारी के मुताबिक, दंपति ने शिष्यों के साथ योजना बनाई और अपने पड़ोस में रहने वाले पोषण सिंह के दो साल के बेटे का अपहरण कर लिया और उसकी हत्या कर दी। साक्ष्य छिपाने के लिए आरोपियों ने बच्चे के शव को दफना दिया था। शक के आधार पर जब आरोपी दंपति से पूछताछ की गई तब पूरे मामले का खुलासा हुआ। पुलिस की जांच में एक और बच्ची की हत्या की बात सामने आई थी। दुर्ग कोर्ट में चल रहे इस मामले का फैसला साल 2014 में आया, जिसे एक एतिहासिक फैसला बताया गया। मामले में न्यायालय ने सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
अपहरण के तीन दिन बाद दी बलि
घटना के समय मासूम चिराग राजपूत अपने माता-पिता के साथ साईं मंदिर के सामने कसारीडीह में था। मां उसे शौच कराने के लिए सड़क किनारे ले गई। वापस उसे मंदिर के पास छोड़ दिया। उस समय आरोपियों ने उसका अपहरण किया और गुरुमाता के घर रूआबांधा ले गए। 3 दिन बाद वारदात को अंजाम दिया।
ऐसे हुआ खुलासा
खोजबीन में तांत्रिक के घर मिले खून के धब्बों से यह मामला का खुलासा हुआ। सात लोगों ने मिलकर चिराग राजपूत की बलि दी। चिराग के लापता होने से परिजन और मोहल्ला निवासी तलाश कर रहे थे। दंपति के घर गाना बजने से लोगों को आशंका हुई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर तांत्रिक, उसकी पत्नी और चेलों को हिरासत में ले लिया। तांत्रिक की पत्नी किरण बाई ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसे सपना आया था कि बच्चे की बलि देना है।