यहां गंदगी का आलम है
देश के टॉप शहरों की सूची में रायपुर 139वें स्थान पर
रायपुर। आमतौर पर यह समझा जाता है कि प्रदेश की राजधानी सुविधाओं और साफ-सफाई के मामले में आगे रहती हैं। छोटे शहरों, कस्बों और गांवों की तुलना में राजधानी को अधिक सुविधायुक्त व स्वच्छ समझे जाने का कारण वहां पूरी सरकार और शासन चलाने वालों का मौजूद रहना है। लेकिन स्वच्छ शहरों की सूची में एक बार फिर रायपुर खास मुकाम हासिल नहीं कर पाया। स्वच्छता सर्वेक्षण की ताजा रिपोर्ट में पिछले साल के मुकाबले इस साल रायपुर का दस रैंक नीचे खिसकना न केवल शर्मनाक है, बल्कि चिंतनीय भी है। शहर में साफ-सफाई प्राथमिक कार्य है। राजधानी को साफ सुथरा रखना शहर के मुखिया की जिम्मेदारी है।
देश के टॉप शहरों की सूची में अंबिकापुर 11वें, बिलासपुर 22वें, कोरबा 37वें, दुर्ग 38वें, रायगढ़ 54वें, राजनांदगांव 59, भिलाई नगर 71वें, जगदलपुर 116 और रायपुर 139वें स्थान पर हैं। आखिर रायपुर सहित प्रदेश के अन्य शहरों के पिछडऩे के लिए जिम्मेदार कौन है? इसे प्रदेश के निकायों की नाकामी व लचर सफाई व्यवस्था का जीता जागता नमूना माना जाना चाहिए। प्रदेश केशहर इंदौर, भोपाल, चंडीगढ़, नई दिल्ली, विजयवाड़ा, तिरुपति, विशाखापट्टनम जैसे क्यों नहीं बन सकते, जबकि हमारे नगर निगमों और पालिकाओं में भी सफाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। संसाधनों की भी खास कमी नहीं हैं। वास्तव में कोई कमी है तो वह है इच्छाशक्ति की। जब भी स्वच्छता सर्वेक्षण होता है, दिखावे के लिए होड़ मच जाती है। मोहल्लों और कॉलोनियों में डोर टू डोर मिनी डोर, जेसीबी, ट्रैक्टर घूमते दिख जाते हैं। आखिर रोजाना शहरों में ऐसी सफाई क्यों नहीं होती। क्या सिर्फ सर्वे में श्रेष्ठता का तमगा हासिल करने के लिए स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं?
बहरहाल, सरकार को प्रदेश के शहरों के स्वच्छता में पिछडऩे के लिए जिम्मेदार नौकरशाहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही शहरों को स्वच्छ रखने के लिए वहां के नागरिकों को भी बराबर की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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