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तालाबों को बचाइए

locationरायपुरPublished: Sep 03, 2018 06:20:29 pm

Submitted by:

Gulal Verma

28 फीसदी अधिक बरसात होने के बाद भी तालाब को बोरवेल के पानी से भरा जा रहा

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तालाबों को बचाइए

सौंदर्यीकरण के नाम पर राजधानी रायपुर के तालाबों में बरसाती पानी आने से रोकना चिंतनीय है। जब एक-एक करके तालाबों का अस्तित्व मिट रहा हों। ज्यादातर तालाब पानी के लिए तरस रहे हो। तालाबों में गंदगी बजबजा रही हो। तालाबों के संरक्षण, संवर्धन व सौंदर्यीकरण के लिए लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हों, तब शासन-प्रशासन व नगर निगम द्वारा बरसाती पानी आने के लिए तालाबों में व्यवस्था तक नहीं करने की व्यापक निंदा होनी चाहिए। राजधानी में तीन दिनों तक हुई भारी बारिश से न सिर्फ पूरा शहर पानी-पानी हो गया, बल्कि नदी-नाले, सड़कें और घरों तक में पानी घुस गया। बावजूद इसके शहर के तालाब खाली के खाली रहे। विडम्बना है कि रायपुर में औसत से 28 फीसदी अधिक बरसात होने के बाद भी डंगनिया के छोटा तालाब को बोरवेल के पानी से भरा जा रहा है।
सवाल है कि क्या तालाबों का संरक्षण, संवर्धन और सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता में शुमार नहीं है? यदि है तो, प्रदेश में तालाबों की इतनी दुर्दशा क्यों है? सर्वविदित है कि प्रदेशभर में हर साल गर्मी में पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। निस्तारी पानी के लिए लोग ही नहीं, बल्कि मवेशियों को भी भटकना पड़ता है। तालाब जैसे प्रमुख जलस्रोत सूख जाते हैं। फलस्वरूप, भू-जल स्तर गिरने से हैंडपंप व बोर तक जवाब दे जाते हैं।
वर्षा जल को तालाबों में संगृहीत करने और तालाबों के संरक्षण व संवर्धन के प्रति न सरकार गंभीर नजर आती है और न ही उसकी मशीनरी व जनप्रतिनिधि। तालाबों को पाटना, अतिक्रमण और कूड़ेदान बनाना तो जैसे लोगों की आदत बन गई है। शहरों में तालाबों को पाटकर कॉलोनी और कॉम्पलेक्स बनाने का खेल तो वर्षों से चल रहा है। इसकी वजह से राजधानी सहित प्रदेशभर के सैकड़ों तालाबों का नामोनिशान नहीं रहा। यह स्थिति वाकई काफी गंभीर है। यदि अब भी सरकार नहीं चेती तो भविष्य में तालाबों में पानी भरने के लिए सिर्फ बोरवेल पर आश्रित होना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के जनजीवन में तालाब का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। फिर भी लोग हैं कि तालाबों के संरक्षण व सुरक्षा के लिए आगे नहीं आते।
बहरहाल, सरकार को प्रदेशभर के तालाबों में बरसाती पानी आने की स्थायी व्यवस्था करनी चाहिए। यह समय की मांग भी है और जरूरत भी है। साथ ही तालाबों के गहरीकरण व सौंदर्यीकरण में लापरवाही बरतने वाले नौकरशाहों व ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाईकरनी चाहिए। लोगों को तालाबों का उपयोग ही नहीं, उनकी सेवा व सुरक्षा भी करनी चाहिए। वर्ना, न केवल प्रदेश से तालाबों का अस्तित्व हमेशा के लिए मिट जाएगा, बल्कि भू-जल भी पाताल में चला जाएगा।
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