इससे प्रदेश में बिजली की खपत बढ़ गई है। हालांकि इसकी पूर्ति के लिए प्रदेश सरकार को कोई परेशान नहीं हो रही है। प्रदेश सरकार के पास लगभग 5000 मेगावॉट बिजली उपलब्ध है। मांग उपलब्ध बिजली से अधिक होती है, तो प्रदेश सरकार के समक्ष परेशानी आ सकती है। प्रदेश में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए डीएसपीएम की 1 यूनिट को छोड़कर सभी यूनिट चलाई जा रही हैं। जांजगीर चांपा जिले में स्थित मड़वा संयंत्र से 900 से 925 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। पश्चिम संयंत्र से 1000 यूनिट से अधिक बिजली दी वितरण कंपनी को दी जा रही है। आपूर्ति को बनाए रखने के लिए बांगो स्थित जल विद्युत संयंत्र से भी बिजली उत्पादन किया जा रहा है।
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डीएसपीएम की पहली यूनिट नहीं हो सकी चालू
तकनीकी गड़बड़ी से बंद डीएसपीएम की पहली यूनिट अभी तक उत्पादन में नहीं आ सकी है। प्रबंधन गड़बड़ी को दूर करने में लगा है। जब तक यूनिट चालू नहीं हो जाती प्रदेश सरकार को 250 मेगावॉट बिजली उत्पादन का नुकसान हो रहा है।
ऑक्सीजन प्लांट को अब नहीं मिलेगी छूट
कोरोनाकाल में 33 केवी क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांटों को 10 फीसदी की छूट दी जा रही थी। इसे अप्रैल 2023 से समाप्त कर दिया गया है। इसका भी आदेश जारी कर दिया गया है।
गर्मी में 6000 मेगावॉट तक जा सकती है मांग
पिछले साल प्रदेश में बिजली की अधिकतम खपत 5300 मेगावॉट के आसपास रही थी। इसमें इस साल काफी बढ़ोतरी की संभावना है। केन्द्र सरकार की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2023 में छत्तीसगढ़ में बिजली की मांग अधिकतम 6000 मेगावाट तक पहुंच सकती है। केन्द सरकार का आकलन सही साबित हुआ तो मांग की पूर्ति करने में बिजली वितरण कंपनी की पसीना छूट सकती है।
एसके बंजारा, सीई, मड़वा ताप विद्युत गृह ने कहा, अप्रैल और मई होने वाली बिजली बिजली की मांग को पूरा करने के लिए प्रबंधन ने तैयारी पूर कर ली है। जरूरत के अनुसार बिजली की आपूर्ति की जाएगी।