script‘वास्तुशास्‍त्र’ की है दस प्रमुख दिशाएं एवं उनके महत्व | Ten major directions and their importance of 'Vastushastra' | Patrika News

‘वास्तुशास्‍त्र’ की है दस प्रमुख दिशाएं एवं उनके महत्व

locationरायपुरPublished: Jul 06, 2020 12:57:59 am

Submitted by:

bhemendra yadav

वास्तुशास्‍त्र में दस प्रमुख दिशाओं का जिक्र आता है, जो मनुष्य के समस्त कार्य-व्यवहारों को प्रभावित करती हैं…

'वास्तुशास्‍त्र' की है दस प्रमुख दिशाएं एवं उनके महत्व

‘वास्तुशास्‍त्र’ की है दस प्रमुख दिशाएं एवं उनके महत्व

वास्तुशास्‍त्र में दस प्रमुख दिशाओं का जिक्र आता है, जो मनुष्य के समस्त कार्य-व्यवहारों को प्रभावित करती हैं। इनमें से प्रत्येक दिशा का अपना-अपना विशेष महत्व है। अगर आप घर या कार्यस्थल में इन दिशाओं के लिए बताए गए वास्तु सिद्धांतों का अनुपालन करते हैं, तो इसका सकारात्मक परिणाम आपके जीवन पर होता है।
इन आठ दिशाओं को आधार बनाकर आवास/कार्यस्थल एवं उनमें निर्मित प्रत्येक कमरे के वास्तु विन्यास का वर्णन वास्तुशास्‍त्र में आता है। वास्तुशास्‍त्र कहता है कि ब्रहांड अनंत है। इसकी न कोई दशा है और न दिशा। लेकिन हम पृथ्वीवासियों के लिए दिशाएं हैं। ये दिशाएं पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाले गृह सूर्य एवं पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र पर आधारित हैं।
यहां उल्लेखनीय है कि आठों मूल दिशाओं के प्रतिनिधि देव हैं, जिनका उस दिशा पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसका विस्तृत वर्णन नीचे किया गया है। यहां हम आठ मूलभूत दिशाओं और उनके महत्व के साथ-साथ प्रत्येक दिशा के उत्तम प्रयोग का वर्णन कर रहे हैं। चूंकि वास्तु का वैज्ञानिक आधार है, इसलिए यहां वर्णित दिशा-निर्देश पूर्णत: तर्क संगत हैं।

पूर्व दिशा

इस दिशा के प्रतिनिधि देवता सूर्य हैं। सूर्य पूर्व से ही उदित होता है। भवन के मुखय द्वार को इसी दिशा में बनाने का सुझाव दिया जाता है।

दिशा के देवता सूर्य को सत्कार देना और दूसरा वैज्ञानिक तर्क यह है कि पूर्व में मुख्य द्वार होने से सूर्य की रोशनी व हवा की उपलब्धता भवन में पर्याप्त मात्रा में रहती है।
सुबह के सूरज की पराबैंगनी किरणें रात्रि के समय उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं को खत्म करके घर को ऊर्जावान बनाएं रखती हैं। सनातन धर्म के अनुसार पूर्व दिशा में देवताओं का निवास माना गया है। सूर्य की रोशनी का हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।
आपने देखा होगा कि ठंड के कपड़ों को बड़ी बड़ी पेटियों या स्टोर रूम में रखने के बाद जब ठंड में निकाला जाता है तो उसमें कीड़े पड़ जाते हैं। इसलिए इन कपड़ों को छत के उपर धुप में सुखाया जाता है, धूप से कीड़े मर जाते हैं। ठीक इसी तरह बहुत दिनों से रखे अनाज में भी कीड़े लग जाते हैं , इसीलिए इस अनाज को धोकर धुप में सुखाया जाता है सूर्य की अनुपस्थिति से जब कपड़ों का ये हाल कीड़े मकोड़े कर सकते है तब जीवित इन्सान की क्या हालत हो सकती है। इसलिए वास्तु के अपने अनुभव से हमने पाया है कि जिस घर में सूर्य की रोशनी का समुचित प्रवेश नहीं हो पाता उस घर के लोग अक्सर बीमार पाए जाते हैं।
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