रात करीब 8 बजे आरोपी विक्रम पांडेय ने युवती से दुष्कर्म किया। पीड़िता मूकबधिर थी। इस वजह से वह किसी को मदद के लिए बुला नहीं सकी। आरोपी ने इसका फायदा उठाया। दुष्कर्म के बाद धमकी देकर भाग निकला। रात करीब 9 बजे युवती की मां घर पहुंची। इसके बाद घटना की शिकायत पंडरी थाने में की गई।
पंडरी पुलिस ने अपराध दर्ज करके आरोपी विक्रम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद से मामला कोर्ट में विचाराधीन था। अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक कोर्ट पूजा जायसवाल के कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान विशेष लोक अभियोजक कोसले ने मामले में कई तथ्य व साक्ष्य पेश कर आरोपी को सजा देने की मांग की। आरोपी के बचाव में कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिलने पर न्यायालय ने उसे दस साल की सजा सुनाया।
साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट के जरिए बताई हैवानियत
पीड़ित युवती बोल और सुन नहीं सकती। यही सोचकर आरोपी ने उससे दुष्कर्म किया था। पीडि़ता ने अपने परिजनों की मदद से थाने में शिकायत की। पुलिस और न्यायालय की विभिन्न प्रक्रियाओं में पीडि़ता ने साइल लैंग्वेज के जरिए अपनी पीड़ा व्यक्त की। कोर्ट में भी साइन लैग्वेंज एक्सपर्ट के जरिए ही पीडि़ता का 164 का बयान दर्ज कराया गया और अन्य बयान कराए गए।
पीड़ित युवती बोल और सुन नहीं सकती। यही सोचकर आरोपी ने उससे दुष्कर्म किया था। पीडि़ता ने अपने परिजनों की मदद से थाने में शिकायत की। पुलिस और न्यायालय की विभिन्न प्रक्रियाओं में पीडि़ता ने साइल लैंग्वेज के जरिए अपनी पीड़ा व्यक्त की। कोर्ट में भी साइन लैग्वेंज एक्सपर्ट के जरिए ही पीडि़ता का 164 का बयान दर्ज कराया गया और अन्य बयान कराए गए।