19 संस्थानों में ट्रू-नेट मशीन इंस्टॉल हो चुकी हैं, संचालित हैं। 28 जिलों में एंटीजन किट से जांच जारी है। अगर, ये सभी फंक्शन में हैं तो फिर स्वास्थ्य विभाग के कहे अनुसार 10000 सैंपल की रोजाना जांच होनी चाहिए। मगर, ‘पत्रिका’ पड़ताल में सामने आया कि 16 जुलाई से 12 अगस्त तक (26 दिनों में) रोजाना 6618 सैंपल ही जांचें जा रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक इन 26 दिनों में कभी महज 3441 सैंपल की जांच हुई तो कभी ९,३१२ सैंपल की। स्पष्ट है कि जांच की क्षमता बढ़ी है, यही वजह है कि एक दिन में 9312 तक सैंपल जांचे गए। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों नहीं पूरी क्षमता से टेस्टिंग नहीं हो रही है? विशेषज्ञों और खुद स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का कहना है कि जितनी ज्यादा टेस्टिंग होगी, समुदाय से उतने ज्यादा मरीजों की पहचान संभव हो पाएगी।
कई राज्यों ने टेस्टिंग क्षमता को कई गुना बढ़ाकर ही कोरोना को नियंत्रित किया है। गौरतलब है कि मई से ही यह भांपा जा चुका था कि राज्य में जुलाई-अगस्त में कोरोना पीक पर पहुंच सकता है, या उसके पीक पर पहुंचने के संकेत हैं। तब ही बिलासपुर, राजनांदगांव और अंबिकापुर में आरटी-पीसीआर टेस्ट शुरू करने के लिए लैब खोलने के निर्देश थे, मगर इन तीनों संस्थानों में लैब स्थापित करने में तीन महीने लगा दिए।
टेस्टिंग ज्यादा होने के तीन बड़े फायदे-
१- समुदाय में मरीजों की पहचान हो पाएगी, इससे उनके जरिए परिवार और समाज में संक्रमण के फैलाने की संभावना बहुत कम होगी। मरीज को सुपरस्प्रेडर बनने से रोका जा सकेगा।
२- अभी टेस्टिंग में देरी की वजह से रिपोर्ट आने में २ से १० दिन तक का समय लग रहा है। इससे मरीज के अंदर वायरस का लोड बढऩे की प्रबल संभावना होती है। जिससे वह गंभीर स्थिति में पहुंच सकता है।
३- मरीजों को ढूंढ पाने से कोरोना का जल्द नियंत्रण संभव हो सकेगा।
टेस्टिंग बढ़ाकर पड़ोसी राज्य बेहतर स्थिति में-
टेस्टिंग क्षमता बढ़कर ही हमारे पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में रिकवरी रेट (मरीजों के स्वस्थ होने की दर) बढ़ा है। टेस्टिंग बढ़ाकर ही तेलंगाना, ओडिशा और बिहार में डेथ रेट (मृत्युदर) हमसे कम है। आज छत्तीसगढ़ में रिकवरी रेट 70.2 प्रतिशत पहुंच गई है, जबकि डेथ रेट बढ़कर 0.8 प्रतिशत पर आ गया है, जो .2 से नीचे थे।
लोग भी बने हुए हैं लापरवाह
कई जिलों में सैंपलिंग और टेस्टिंग कम होने की वजह लोगों की भी लापरवाही है। सर्दी, जुकाम, खांसी और सांस लेने में तकलीफ के मरीज कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर तक नहीं जा रहे हैं। साधारण दवा ले रहे हैं, जो घातक है। वर्तमान में कोरोना वायरस संक्रमण की सेकंड स्टेज में पहुंच गया है, अभी ऑक्सीजन लेवल गिरने की वजह से मौतों के आंकड़े बढ़े हैं। इसलिए शासन-प्रशासन चिंता बढ़ गई है।
उपलब्ध इलाज की सुविधा-
मरीजों की बढ़ती संख्या और भविष्य के खतरे को भांपते हुए सरकार ने प्रदेश में 28395 बेड का इंतजाम कर लिया है। इनमें से सबसे ज्यादा बेड रायपुर में आरक्षित किए गए हैं, क्योंकि यहां एक्टिव मरीजों की संख्या ही 2 हजार के करीब पहुंच रही है।
आरटी-पीसीआर, ट्रूनेट और एंटीजन किट से टेस्ट क्षमता बढ़ाई जा रही है। मशीनें इंस्टॉल हो चुकी है। निश्चित तौर पर जितने ज्यादा टेस्ट होंगे, मरीजों की संख्या बढ़ेगी। उसके मुताबिक हमारी तैयारियां भी हैं।
-टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री