अगली सुनवाई 17 अप्रैल को
मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल करने के लिए कहते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा कि इस मामले में उन्हें इसी सवाल के साथ छोड़ दिया गया था कि क्या बांध का निर्माण फैसले के अनुरूप हो रहा है? ओडिशा ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि पोलावरम बांध का निर्माण फैसले के अनुसार होना चाहिए, क्योंकि किसी भी विचलन से राज्य के मलकानगिरि जिले के जनजातीय गांव डूब जाएंगे। शीर्ष कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 अप्रैल तय कर दी।
पोलावरम बांध से दोरला संस्कृति हो सकती है नष्ट!
आंध्रप्रदेश में बन रहे पोलावरम परियोजना से सुकमा जिले के लगभग 40 हजार परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ सकता है। इसमें दोरला जनजाति की 70 फीसदी आबादी भी शामिल है। राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना के डूबान क्षेत्र में दोरला जनजाति की मुख्य बसाहट कोंटा और 18 ग्राम पंचायत है। जानकारों के मुताबिक बांध की ऊंचाई 45.75 मीटर से अधिक होने पर सुकमा जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग का एर्राबोर से कोंटा के बीच 13 किलोमीटर का हिस्सा और लगभग 6000 हेक्टेयर से अधिक जमीन डूब जाएगी। कोंटा के तहसीलदार द्वारा छत्तीसगढ़ शासन को भेजी गई एक रिपोर्ट के अनुसार पोलावरम परियोजना के डूबान से दोरला जनजाति के विलुप्त होने का खतरा है। ऐसा होने पर दोरला संस्कृति भी पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।