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छत्तीसगढ़ सरकार कौन-से फैसले से बंधी है, जो सुप्रीम कोर्ट ने मांगा हलफनामा

locationरायपुरPublished: Feb 15, 2018 09:41:56 pm

Submitted by:

Anupam Rajvaidya

पोलावरम बांध के डुबान एरिया में आ रहा है सुकमा के एर्राबेर से लेकर कोंटा तक का इलाका।

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अनुपम राजीव राजवैद्य ञ्च रायपुर . सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ समेत छह राज्यों को यह कहते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि वे अंतरराज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम-1956 के तहत 1980 के गोदावरी नदी जल न्यायाधिकरण के फैसले से बंधे हैं। विदित हो कि गोदावरी नदी पर इंदिरा सागर बांध का निर्माण हो रहा है, जिसे पोलावरम बांध बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना के रूप में जाना जाता है। इसे गोदावरी नदी जल न्यायाधिकरण फैसले के अनुसार बनाया जा रहा है। पोलावरम बांध के डूबान क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा ब्लाक का बड़ा इलाका आ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने गुरुवार को आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के प्रमुख सचिवों को हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया। खंडपीठ ने केंद्रीय जलसंसाधन मंत्रालय के सचिव से भी अपनी स्थिति की पुष्टि करते हुए हलफनामा दाखिल करने को कहा कि 1956 अधिनियम के तहत सभी जस्टिस बछावत के गोदावरी जल विवाद पर फैसले को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं।

अगली सुनवाई 17 अप्रैल को
मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल करने के लिए कहते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा कि इस मामले में उन्हें इसी सवाल के साथ छोड़ दिया गया था कि क्या बांध का निर्माण फैसले के अनुरूप हो रहा है? ओडिशा ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि पोलावरम बांध का निर्माण फैसले के अनुसार होना चाहिए, क्योंकि किसी भी विचलन से राज्य के मलकानगिरि जिले के जनजातीय गांव डूब जाएंगे। शीर्ष कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 अप्रैल तय कर दी।

पोलावरम बांध से दोरला संस्कृति हो सकती है नष्ट!
आंध्रप्रदेश में बन रहे पोलावरम परियोजना से सुकमा जिले के लगभग 40 हजार परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ सकता है। इसमें दोरला जनजाति की 70 फीसदी आबादी भी शामिल है। राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना के डूबान क्षेत्र में दोरला जनजाति की मुख्य बसाहट कोंटा और 18 ग्राम पंचायत है। जानकारों के मुताबिक बांध की ऊंचाई 45.75 मीटर से अधिक होने पर सुकमा जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग का एर्राबोर से कोंटा के बीच 13 किलोमीटर का हिस्सा और लगभग 6000 हेक्टेयर से अधिक जमीन डूब जाएगी। कोंटा के तहसीलदार द्वारा छत्तीसगढ़ शासन को भेजी गई एक रिपोर्ट के अनुसार पोलावरम परियोजना के डूबान से दोरला जनजाति के विलुप्त होने का खतरा है। ऐसा होने पर दोरला संस्कृति भी पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।

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