ऐसे जागा था विचार मैं गुरुकुल कांगड़ी यूनिवर्सिटी हरिद्वार से यहां साल 1986 में आया था। मैं हरिद्वार में योग पर डिप्लोमा के लिए दाखिला लिया था लेकिन किसी वजह से परीक्षा नहीं दे पाया। मेरे मन में वह बात थाी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ने संस्कृत और योग को बढ़ावा देने का प्रयास किया था। उस वक्त यूजीसी के तत्कालीन चेयरमैन ने देश के सभी कुलपतियों को चिट्ठी भेजी थी कि फिलॉसफी की स्थिति खराब होती जा रही है। इसलिए एप्लाइड फिलॉसफी के कोर्सेस खोले जाएं। मैंने यूजीसी को प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव को हरी झंडी मिली। आज रविवि के विद्यार्थी ओडिशा और एमपी में टीचर हैं।
विभाग से अलग हुई थी शुरुआत 2002 में यहां पीजी डिप्लोमा इन योगा एजुकेशन एंड फिलॉसफी, सर्टिफिकेट कोर्स इन योगा एंड फिलॉसफी कोर्स योग केंद्र के रूप में शुरू किए गए थे। जो कि विभाग से अलग चल रहे थे। 2005 में पीजी डिग्री कोर्स एमए इन एप्लाइड फिलॉसफी एंड योग, इसी साल योग केंद्र विभाग में मर्ज हो गया। नाम पड़ा- दर्शन योग विभाग। आज तीन कोर्सेस हैं- एमए एप्लाइड फिलॉसफी एंड योग 4 सेमेस्टर, पीजी डिप्लोमा इन योगा एजुकेशन एंड फिलॉसफी दो सेमेस्टर, सर्टिफिकेट कोर्स इन योगा एंड फिलॉसफी एक सेमेस्टर। पहली बैच में ही 105 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। जिसमें 34 स्पोट्र्स ऑफिसर थे। सालभर हम कैंपस के चार अलग-अलग स्थानों में पढ़ाते रहे।