अफसर और कारोबारियों के यहां छापे में आयकर टीम को मिले करोड़ों रुपए की जमीन और निवेश के दस्तावेज
आयकर विभाग की कार्रवाई, कई लोगों के ठिकानों से नकदी भी बरामद

रायपुर. प्रदेश के रसूखदार अफसरों और कारोबारियों के यहां तीन दिन से चल रही आयकर विभाग की छापेमारी अंतिम चरण में है। इस छापेमारी में आयकर विभाग को करोड़ों रुपए की जमीन की खरीद-फरोख्त करने, विभिन्न कंपनियों एवं शेयर बाजार में निवेश करने के दस्तावेज मिले है।
वहीं तलाशी के दौरान करोड़ों रुपए नकदी और ज्वेलरी भी बरामद की गई है। इसका हिसाब नहीं देने पर जब्त कर लिया गया है। साथ ही सभी से दस्तावेजी साक्ष्य मंगवाए गए है। कार्रवाई और बरामदगी की रिपोर्ट भी दिल्ली स्थित आयकर मुख्यालय को भेजी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि तलाशी के दौरान हवाला के जरिए नकदी रकम भेजने और कुछ रसूखदार लोगों को फंडिग करने का सुराग भी मिला है। इसका परीक्षण करने के लिए स्थानीय आयकर विभाग के अधिकारियों को कुछ ठिकानों पर भेजा गया था। इस दौरान उनके द्वारा कुछ गोपनीय जानकारी भी देना बताया जा रहा है।
देर रात लेबर ठेकेदार के घर दबिश, ताला बंद होने से लौटी टीम
आ यकर विभाग ने शनिवार की देररात गीताजंलि नगर स्थित एक लेबर ठेकेदार के तीन ठिकानों पर दबिश दी। लेकिन, उसके फ्लैट में ताला बंद था। इस दौरान वहां के सुरक्षाग़ॉर्ड और आसपास के लोगों से पूछताछ करने के बाद टीम लौट गई। वह शराब दुकानों में कर्मचारियों की आपूर्ति करने वाले सिद्धार्थ के लिए वसूली का काम करता है। सूत्रों का कहना है कि सिद्धार्थ के सेलटैक्स कॉलोनी स्थित तलाशी के दौरान विकास उर्फ शीबू का सुराग मिला था। इसकी जानकारी मिलने के बाद टीम को तुरंत छापा मारने के लिए भेजा गया था।
सुधांशु बोले- सरकार की स्थिरता क्या इनकम से जुड़ी है
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने आयकर छापों को सरकार की राजनीतिक स्थिरता के खिलाफ साजिश बताने पर सवाल उठाए। त्रिवेदी ने कहा, क्या सरकार की राजनीतिक स्थिरता, इनकम से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि सरकार के सभी विभाग अपनी क्षमता और स्वतंत्रता से काम कर रहे हैं। संवैधानिक व्यवस्था में प्रावधान हैं, किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।
ब्यूरोक्रेसी में रंजिश
चर्चा है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबन्धित निर्णयों से खार खाये नौकरशाहों ने आयकर विभाग मे पूर्व मे शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। नाम न छापे की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, इस समूची कार्रवाई की जानकारी कुछ अधिकारियों को पहले से लग चुकी थी। छापे की जद में आए अधिकारियों की परिसंपत्तियों की जानकारी भी स्थानीय लोगों ने ही आयकर अधिकारियों को दी थी। दबे छिपे शब्दों मे अब उन अधिकारियों का नाम भी लिया जा रहा है जिनके इशारे पर छापेमारी हुई।
झारखंड चुनाव में फंडिंग
इस पूरे छापे को झारखंड मे भाजपा की करारी हार से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। केंद्र सरकार को शक है कि झारखंड चुनाव मे कांग्रेस पार्टी ने वित्तीय संसाधन छत्तीसगढ़ से इकट्ठा किए थे। सीबीडीटी में इसकी शिकायत भी हुई है। आयकर विभाग के छत्तीसगढ़ मे पदस्थ एक अधिकारी मानते हैं कि यह पूरा मसला पॉलिटिकल फंडिंग से जुड़ा हुआ है, जिनके बारे मे भी यह शक रहा कि वो सत्ताधारी पार्टी के मददगार हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
कारपोरेट घराने का हाथ
राज्य मे डाले गए छापे के पीछे सियासी हलको में देश के एक बड़े उद्योग समूह का नाम भी लिया जा रहा है। जिसकी लौह अयस्क की खदानों का आपरेशन नई सरकार में संभव नहीं हो पाया था। गौरतलब है कि उक्त उद्योगपति के राज्य मे कई कोल ब्लाक भी हैं। कहा जा रहा है कि इस छापे से जुड़े एक वरिष्ठ आयकर अधिकारी को कुछ दिन पहले इसी उद्योग समूह से जुड़ी एक कार में देखा गया था।
क्या कहता है कानून
आयकर बार सलाहकार एसोसिएशन अध्यक्ष बी सुब्रमणियम ने बताया कि आयकर विभाग द्वारा तलाशी के दौरान मिले दस्तावेजों और साक्ष्य के आधार पर रिपोर्ट तैयार होती है। संबंधित पक्ष से पूछताछ कर बयान लिया जाता है। उसके द्वारा अपने समर्थन में पेश किए गए दस्तावेजों का परीक्षण किया जाता है। इसके आधार पर आयकर विभाग टैक्स का निर्धारण करता है। असंतुष्ट व्यक्ति आयकर विभाग की अपील शाखा में अपना मामला पेश कर सकता है। संबंधित पक्ष को अगर यह लगता है कि उसके साथ न्याय नहीं हुआ तो उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय भी जा सकता है।
आयकर बार सलाहकार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष चेतन तारवानी ने बताया कि छापेमारी के बाद संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर रिटर्न जमा करने का मौका दिया जाता है। विभाग जमा टैक्स की राशि और संबंधित द्वारा दी गई जानकारी की जांच करता है। करारोपण अधिकारी द्वारा टैक्स का निर्धारण किया जाता है। असंतुष्ट व्यक्ति आयकर आयुक्त और ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है। यहां भी अगर उसे लगता है कि उसके पक्ष को सही तरीके से नहीं सुना गया है तो वह उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है।
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