हालांकि, निगम में नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने 22 अप्रैल को निगम मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन कर पानी समस्या का निराकरण कराने के लिए विपक्ष की मौजूदगी का एहसास कराया। उस दौरान सुरक्षा सुरक्षा जवानों के साथ उनकी झूमाझटकी भी हुई, परंतु वे पीछे नहीं हटी। बल्कि छह महिला और 10 पुरुष पार्षदों के साथ जल संकट की समस्या को महापौर एजाज ढेबर के सामने प्रमुखता से रखीं और अमृत मिशन योजना के तहत चल रही लेटलतीफी पर सवाल उठाया। परंतु ऐसे मौके पर 13 पार्षदों का गैरहाजिर रहना निगम के गलियारे में एक बिखरे हुए विपक्ष के रूप में चर्चाएं गर्म हैं। यह भी सवाल है कि जब पहले से जल संकट जैसे मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने की तारीख तय थी। इसके बावजूद गैरहाजिर रहना बिखराव की ओर संकेत करता है।
एक दिन पहले हुई थी बैठक नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे के साथ एक दिन पहले भाजापा पार्षद दल की संयुक्त रूप से भाजपा दल की बैठक हुई और उसमें रणनीति तय की गई थी कि जोरदार तरीके से समस्याओं को उठाया जाना है। इस बैठक में पूर्व नेता प्रतिपक्ष सूर्यकांत राठौर मौजूद थे, लेकिन प्रदर्शन के दिन नजर नहीं आए। उनके अलावा 12 और पार्षद शामिल नहीं हुए थे। सवाल उठ रहा है कि 13 पार्षदों की गैरहाजिरी को भाजपा पदाधिकारी किस रूप में लेते हैं, इसे आगे देखना होगा।
क्या कहते है पूर्व और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष जिस दिन भाजपा पार्षद दल का निगम मुख्यालय में प्रदर्शन था, उस दिन मैं कोर्ट में था। सभी पार्षद शहर की समस्याओं को लेकर एकजुट हैं। खीचंतान जैसी कोई बात नहीं।
सूर्यकांत राठौर, पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं पार्षद 000000 भाजपा पार्षद दल शहर की समस्याओं को लेकर हमेशा एकजुट है। हम लोगों के लिए कभी पीछे नहीं हटेंगे। जहां तक 13 पार्षदों के शामिल नहीं होने का सवाल है तो, वो लोग पारिवारिक कारणों की वजह से नहीं आए थे।
मीनल चौबे, नेताप्रतिपक्ष, निगम