रायपुर

इतिहास बनने के कगार में है कलचुरि वंश का खो-खो तालाब, यें हैं खासियत

* कलचुरि वंश ने रायपुर को राजधानी बनाने के बाद किया था खो-खो तालाब का निर्माण
* तालाब का जलस्तर ना गिरे इसलिए खो-खो, बंधवा और प्रहलदवा तालाब को किया था इंटरकनेक्ट
* भू-माफियाओं का है तालाब में कब्जा

रायपुरMay 17, 2019 / 10:51 pm

Deepak Sahu

इतिहास बनने के कगार में है कलचुरि वंश का खो-खो तालाब, यें हैं खासियत

रायपुर। कलचुरि काल में निर्मित खो-खो तालाब को जिम्मेदारों की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। खो-खो तालाब के पास ही प्रहलदवा तालाब और बंधवा तालाब भी कल्चुरी काल में बना था। इन सभी धरोहरों को जिला प्रशासन और नगर निगम भूल गया है। मानसून सिर पर है, लेकिन खो-खो तालाब को नवजीवन देने के लिए जिम्मेदार गंभीर दिखाई नहीं दे रहे है।
कुछ साल पहले खो-खो तालाब इलाके की निस्तारी के लिए ऐतिहासिक सरोवर हुआ करता था, पेय जल का ये बडा स्रेात था, लेकिन वर्तमान में गंदगी के चलते यहां का पानी निस्तारी के काबिल भी नहीं है। भू-माफिया तालाब में गंदगी डालकर उसे पाटा जा रहा है, और उसके बाद दिन पे दिन कब्जा किया जा रहा है। इस ऐतिहासिक तालाब पर लगातार कब्जा हो रहा है, लेकिन नगर निगम के आला अधिकारी भू-माफियाओं पर कार्रवाई नहीं कर रहे है।


पत्थर वाले घाट बने थे तालाब में
लगभाग 600 वर्ष पुराने और रायपुर के ऐतिहासिक तालाब में शामिल खो-खो पारा तालाब में तीनो तरफ पत्थर का घाट बना हुआ था, वर्तमान में भी यह घाट बने हुए है। खो-खो तालाब रहवासियो की निस्तारी का बड़ा साधन था। तालाब का जल स्तर कम ना हो इसलिए कल्चुरी राजाओं ने खो-खो तालाब को बंधवा तालाब और प्रह्लदवा तालाब से इंटरकनेक्ट कर दिया था। यह प्रयोग खो-खो तालाब के बाद राजधानी के अधिकतर तालाबों में किया गया था।

नालियों का पानी गिर रहा तालाब में

खो-खो तालाब में लाखेनगर से गुजरने वाली नालियो का पानी गिर रहा है। तालाब का पानी बदबूदार हो गया है। तालाब के आस पास रहने वाले लोगों की माने तो पानी में इतना बदबू है कि घर के बाहर बैठना भी दूभर है। गत वर्ष रहवासियों की मांग पर इलाके की पार्षद ने नालियों का पानी तालाब में ना गिराने के लिए निगम को पत्र लिखा था। औपचारिक तौर पर नालियों को मोडकऱ तालाब के किनारे से बाहर निकाला गया, लेकिन मोड़ जाम होने की वजह से फिर से नाली पानी तालाब में गिरना शुरु हो गया है।

50 एकड़ का तालाब चंद एकड़ो में सिमटा
खो-खो तालाब के निर्माण के दौरान उसका क्षेत्रफल लगभग 50 एकड़़ था। वर्तमान में खो-खो तालाब चंद एकड़ो में सिमटकर रह गया है। तालाब के बड़े हिस्से में वर्तमान मे दो मंजिला मकान और बिल्डिंग तने हुए है। निगम के अधिकारियो को तालाब में कब्जा करने वाले लोगों का नाम भी पता है, लेकिन उनकी रसूख के चलते अधिकारी वहां झाकना भी उचित नहीं समझते। रिकार्ड देखते तो खो-खो तालाब में कब्जा करने वाले लोगों में पिछले 10 वर्षों से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

लगातार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
लाखेनगर वार्ड के पार्षद राजेश ठाकुर का कहना है – हम लगातार निगम में तालाब में अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ शिकायत करते है। ताज्युब की बात है कि तालाब जमीन को लोग नामांतरण और रजिस्ट्री करवा लेते है और उन पर कार्रवाई नहीं होती। लंबे समय से हम कार्रवाई की मांग और तालाब को सौंदर्यीकरण करने की मांग कर रहे है।

कार्रवाई करुंगा
नगर निगम कमिश्नर शिव अनंत तायल का कहना है – अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई जारी है। खो-खो तालाब में जिन्होंने भी कब्जा किया है, उनके खिलाफ दस्तावेजों की जांच करने के बाद सख्त कार्रवाई करूंगा।

 

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