ऐसे पहुंच सकते हैं घडघडी जलप्रपात
गरियाबंद जिले के जिला मुख्यालय से देवभोग मार्ग पर ग्राम जोबा से दर्रीपारा ग्राम तक पक्के मार्ग से जाया जा सकता है। इसके बाद दर्रीपारा से ग्राम चिपरी जाने के लिए कच्चा मार्ग पकडऩा पड़ता है। चिपरी ग्राम की बसाहट के ठीक बाहर पूर्व दिशा में जाने पर वन विभाग द्वारा पौधारोपण, वनीकरण एवं फेंसिंग का कार्य किया गया है। इसी फेंसिंग के किनारे-किनारे लगभग डेढ़ किमी आगे बढऩे पर उतार-चढ़ाव भरे वन पगडण्डी के बाद ग्राम निकट का नाला दिखाई पडऩे लगता है, जिसकी धारा पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण अत्यंत ही तेज है। यहां से लगभग डेढ़ किलोमीटर नदी के रास्ते को लक्ष्य मानकर बहाव के विरुद्ध चलने पर गरियाबंद विकासखंड के सबसे बड़े जलप्रपात के दर्शन होते हैं, जिसका नाम ग्रामीणों द्वारा घडघडी जलप्रपात रखा गया है।
यह जलप्रपात लगभग 120 फिट ऊंचा एवं 250 फिट लंबा है। यद्यपि यह इलाका पूरी तरह से वनाच्छादित होना प्रपात के लिए छद्मवेश का आवरण प्रदान करता है। बहाव के विरुद्ध में कई पेड़ होने के कारण जलप्रपात शिखर से घाटी तक अनेक सोपानों में बंटा एवं छिपा हुआ दिखाई पड़ता है। ग्रेनाइट की चिकनी चट्टानों में निर्मित होने के कारण यहां बहाव के विपरीत प्रपात में चढऩा, काई चढ़ी हुयी ग्रेनाइट चट्टानों को चुनौती देने जैसा है। खतरनाक भी है। प्रपात का जल चट्टानों से बहता हुआ कहीं लगभग 30 डिग्री का तो कहीं पर 45 डिग्री में तो कहीं पर 60 डिग्री में सोपान निर्मित होता है।