रायपुर@राजधानी के इतिहास में थर्ड जेंडर्स की संभवत: ऐसी प्रस्तुति थी जिसे देख दर्शकों को रोंगटे खड़े हो गए। रक्तबीज के वध के लिए जब मां दुर्गा ने काली का रूप धारण किया तो वे इतनी क्रोधित हो गईं कि उन्हें शांत करना मुश्किल हो रहा था। उनके क्रोध को शांत करना भगवान शिव के लिए भी आसान नहीं था, इसलिए वे काली के मार्ग में लेट गए। क्रोधित काली का पांव जैसे ही भगवान शिव के सीने पर पड़ा वो झिझक कर ठहर गईं और उनकी जीभ बाहर निकल आई। इस तरह उनका क्रोध शांत हो पाया।
यह नजारा संस्कृति विभाग परिसर स्थित मुक्ताकाशी मंच पर देखा गया। जिसने भी यह दृश्य देखा बस देखता ही रह गया। शनिवार को एक शाम तृतीय लिंग कलाकारों के नाम सांझ कार्यक्रम आयोजित किया गया। जांजगीर चांपा के प्रतिमा ग्रुप में काली स्वरूप में शांतिलाल यादव ने धारण किया था। इसी प्रस्तुति के अन्य कलाकारों में दीपक यादव, सुनील यादव, सोनी सिदार, राजेश गोस्वामी, बजरंग यादव, राहु, अंशु, अर्जुन और नकुल शामिल रहे।
प्रस्तुतियों ने मोहा रायपुर के युवराज बाध व साथियों ने कथक में शिव वंदना की प्रस्तुति दी। उन्होंने कथक तिहाई, परन और ठुमरी में अपने अंदाज से लोगों को दिल जीत लिया। इसके बाद दुर्ग के कांता ने सेमिक्लासिकल नृत्य की प्रस्तुति दी। इसी प्रकार रायपुर के ही एली महानंद ने फिल्मी क्लासिकल नृत्य में अपनी प्रस्तुति दी। प्रतिमा डांस ग्रुप द्वारा किन्नर की जीवन पर एक संगीतमय प्रस्तुति दी गई, जो बहुत की आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया।
संस्कृति विभाग और छत्तीसगढ़ मितवा संकल्प समिति का आयोजन . समुदाय के कई कलाकारों द्वारा एकल विधा में उपशास्त्रीय नृत्य में प्रस्तुति दी गई।
लोरिक चंदा की प्रेम गाथा स्वरागिनी डांस ग्रुप ने लोरिक चंदा की प्रेम गाथा को छत्तीसगढ़ी गीतों के साथ पेश किया। लहर मारे, मता दे टूरी, गुलमोहर सही मन लुभाले गोरी समेत कई गीतों की प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरीं। इस संगीतमयी नाटक में संदेश दिया गया कि सबसे बड़ा धर्म प्यार और इंसानियत का होता है।
प्रेमकथा में भरतनाट्यम का फ्यूजन कामता ने बॉलीवुड सॉन्ग क्यों खफा हो गए, तबाह हो गए में भरतनाट्यम पेश किया। इसमें उन्होंने ट्रांसजेंडर की प्रेमकथा का जिक्र किया। कामता ने कथक में एमए किया है और वे भिलाई में डांस टीचर हैं। कार्यक्रम का संचालन रवीना ने किया। कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के सभी अधिकारी मौजूद रहे।