साल में एक ही सप्ताह मिलता है
चमत्कारिक बात यह है कि यह डिश साल के एक ही सप्ताह शौकीनों को मिल पाता है। कड़ी धूप के बाद मानसून की पहली बौछार पड़ते ही साल वनों के जंगल में नजर आने वाली इस सब्जी का स्वाद चखना आम व खास लोगों के लिए क्रेज की बात है।
टूट पड़ रहे हैं
मानसून की पहली बौछार पड़ते ही बस्तर के लोगों की जुबान पर एक ही लफ्ज सुनाई देता है बोड़ा निकला क्या? पहली मर्तबा बाजार में आने वाले बोड़ा को देखने- चखने के लिए शौकीन टूट पड़ रहे हैं।
दो हजार रुपए से अधिक है प्रति किलो
बोड़ा की आवक शुरु हुई तब इसका दाम दो हजार रुपए प्रति किलो से अधिक रहता है। सरगीपाल, नानगुर, तितिरगांव में साल के घने जंगल हैं। इसके संग्रहण के लिए आदिवासी महिलाएं टोलियां बनाकर सुबह ही निकल जाती हैं। जंगली जानवरों व जहरीले सांपों से भरपूर इन जंगलों में जोखिम उठाकर भी ये महिलाएं इस फंगस को बटोरने जुटी रहती हैं।
जमीन को खुरचकर निकालती हैं
इन महिलाओं को साल के पेड़ों के पास की नम जमीन को खुरचते व उसमें छिपे बोड़ा को जमाकर टोकरी में सहेजते आसानी से देखा जा सकता है।
रास्ते में ही बिक रहा सारा माल
बोड़ा के शौकीन इसका बाजार तक पहुंचने का भी इंतजार नहीं करते ये इन महिलाओं से रास्ते में ही सौदा कर ले रहे हैं। संजय बाजार पहुंची रैयवती व बुदनी ने बताया कि वे नानगुर से बोड़ा लेकर आई हैं, एक घंटे में ही सारा बिक गया। बिक्री से मिले तीन हजार रुपए पाने की खुशी इनके चेहरे पर झलक रही थी।
जात लाजवाब, लाखड़ी है सस्ती
शुरुआत में जो काले रंग का बोड़ा बाजार में आया है वह बेहद नरम होता है इसे जात बोड़ा क हते हैं इसका स्वाद लाजवाब होता है, इसके अलावा ऊपरी परत सफेद होने व कड़क होते जाने पर इसे लाखड़ी कहा जाता है। लाखड़ी के दाम आधे से कम में मिलते हैं। राजधानी में भी कुछ वर्षों से बोड़ा की डिमांड बढ़ी हुई है। यहां राजिम, धमतरी व नगरी इलाकों से निकला हुआ बोड़ा पहुंच रहा है।
ग्रेवी व फ्राई का जायका उठा रहे
बोड़ा का अपना कोई स्वाद नहीं होता है, लहसून, प्याज, हरी मिर्च की तीखी ग्रेवी के साथ पकने पर इसका जायका बढ़ जाता है, इसके अलावा मिर्च- मसाला के लपेटकर फ्राई कर खाने का अलग ही मजा है।
सेल्यूलोज से भरपूर फंगस है बोड़ा
कुम्हरावंड स्थित कृषि विज्ञान केंद्र की पौध रोग विज्ञानी श्वेता मंडल ने बताया कि यह फंगस खाद्य के तौर पर उपयोग में लाया जाता है। सैल्यूलोज व कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होने की वजह से शुगर व हाई ब्लड प्रेशर वाले भी इसे खा सकते हैं। इस फं गस पर और अधिक शोध होने की जरुरत उन्होंने बताई है। साल के वनों में उसकी जड़ों से निकले हुए विविध रसायन से यह माइकोराजीकल फंगस निकलता है। यह फंगस पत्तियों को नष्ट करने का काम करता है। यह फंगस (बोड़ा) जीवित पत्तियों पर अपना जीवनचक्र चलाता है।