70-80 रजिस्ट्रियां हो रही हैं रोज
राजधानी में अभी भी हर रोज 70 से 80 रजिस्ट्रियां रोज हो रही हैं, लेकिन फिर भी सरकार के राजस्व में पर्याप्त राशि नहीं पहुंचती है। बीते तीन साल के आंकड़ों के मुताबिक, सत्र शुरू होने से अप्रैल से सितंबर तक 250 करोड़ से ज्यादा राशि विभाग को देनी थी, लेकिन यह आंकड़ा करीब 120 करोड़ रुपए ही था। दूसरी ओर, अफसरों का कहना है, नए नियम से रजिस्ट्री की कम हो रही हैं।
ये है नियम
नए नियम के तहत रजिस्ट्री के दौरान केवल 20 हजार रुपए की राशि ही नकद दी जाती है। शेष राशि चेक से देनी होगी। इसके लिए बैंक से ट्रांजेक्शन जरूरी है। यहां से वित्तीय लेन-देन पर आयकर विभाग की भी नजर रहती है कि कौन-कौन बड़ी राशि का भुगतान कर जमीन के सौदे करते हैं।
कलेक्टर गाइडलाइन रेट का भी असर
रियल एस्टेट मार्केट के अनुसार वर्ष 2020-21 में राजधानी के किसी भी वार्ड में कलेक्टर गाइड लाइन रेट को पूर्ववत की गई थी, इसके बाद भी कई वार्डों में जमीन की कीमत बढ़ा दी गई। इससे बाजार भाव का अंतर बढ़ गया और बड़े सौदों की रजिस्ट्री रुक गई। रही सही कसर चेक की अनिवार्यता से पूरी हो गई। इससे विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा है ।