छत्तीसगढ़ आये राहुल गांधी ने जब खुले मंच से कहा कि पैराशूट उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलेगा तो प्रदेश संगठन की बैचैनी बढ़ गई
राहुल गांधी के इन फार्मूलों ने दिग्गजों के सामने कांग्रेस को दिलाई ऐतिहासिक जीत
आवेश तिवारी@रायपुर. 20 रैलियां 68 सीटें ! यह किसी करिश्मे से कम नहीं था। सामने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ। लेकिन राहुल गांधी ने कर दिखाया। अभी अक्टूबर में आडियो सीडी प्रकरण के दौरान जब राहुल गांधी ने 12 और 13 अक्टूबर के अपने प्रस्तावित छत्तीसगढ़ दौरे को रद्द कर दिया तो कहा जाने लगा कि पार्टी छत्तीसगढ़ को गंभीरता से नहीं ले रही है।
लेकिन राहुल ने इस भ्रम को तोड़ा और पूरे चुनाव के दौरान सभी संभागों में जमकर सभा की। सबसे दिलचस्प यह रहा कि उन्होंने पार्टी के घोषणा पत्र को कागजों से निकालकर आबादी के बीच पहुंचाया।
राजनीतिक विश्लेषक अभय दुबे कहते हैं कि कर्जमाफी की घोषणा और समर्थन मूल्य को बढ़ाया जाना केवल जुमलेबाजी न लगे, इसके लिए पूरी पार्टी ने जमकर मेहनत करी। यह राहुल के बोलने की शैली थी कि जनता ने उनके वादे को माना, यह उनका आदेश था कि पार्टी के छोटे बड़े सभी नेता अपनी चुनावी सभाओं में इन वादों को नारों की तरह इस्तेमाल करने लगे और ऐतहासिक जीत हासिल कर ली ।
भूपेश और टीएस के बीच दूर की खटास जब भूपेश बघेल पर उनके विरोधियों द्वारा लगातार आरोप लगाए जा रहे थे और नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव से उनके संबंधों पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा शुरू हो गई थी। यह बात बार बार कही जा रही थी कि सिंहदेव और भूपेश के संबंधों में आई खटास का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा । राहुल ने इसका मजेदार समाधान निकाला।
दोनों नेताओं को जगदलपुर में राहुल ने अपनी सभा में शामिल होने के लिए बुलाया जब सभा ख़त्म हुई तो प्रदेश प्रभारी पी.एल. पुनिया की उपस्थिति में दोनों नेताओं को समझाया कि यह समय कितना महत्वपूर्ण है और फिर कहा आप लोग एक ही गाड़ी से वापस जाएंगे।
फिर क्या था भूपेश और टी.एस. एक ही गाड़ी से सडक़ मार्ग से रायपुर लौटे और लगभग 350 किलोमीटर की इस यात्रा से सारी खटास दूर हो गई। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि चुनाव की घोषणा के बाद आई आडियो सीडी को लेकर जब दिल्ली में राहुल गांधी से कुछ लोगों ने चर्चा की तो उन्होंने कहा कि इसी तरह की छोटी और फ़ालतू बातों को हम तक न लाया जाए तो बेहतर।
चुनाव से पहले दे दिया था स्पष्ट संदेश अगस्त में कांग्रेस भवन के उदघाटन के लिए छत्तीसगढ़ आये राहुल गांधी ने जब खुले मंच से कहा कि पैराशूट उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिलेगा तो प्रदेश संगठन की बैचैनी बढ़ गई। यह वह दौर था जब प्रदेश कमेटी भावी उम्मीदवारों को लेकर अपनी रणनीति बना रही थी। निस्संदेह राहुल का सन्देश स्पष्ट था कि टिकट वितरण में सिर्फ उनकी ही चलेगी और यही हुआ भी।
पैराशूट उम्मीदवारों को टिकट देने से पार्टी ने साफ़ इनकार कर दिया। चुनाव से ठीक पहले जब प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी तमाम परियोजनाओं के उदघाटन के बहाने छत्तीसगढ़ के ताबड़तोड़ दौरे कर रहे थे, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी छत्तीसगढ़ फतह का खाका खींच रहे थे। भूपेश बघेल से जब यह पूछा गया कि 2013 का चुनाव पार्टी क्यों हारी ? तो उन्होंने कहा कि दुखी मन से चुनाव नहीं लड़े जा सकते। पिछला चुनाव हम सबने अजीत जोगी की वजह से दुखी मन से लड़ा था। इस चुनाव को राहुल गांधी के नेतृत्व में जी जान और पूरे आत्मविश्वास से लड़ा जा रहा है।