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निर्भया कांड की याचिका से छत्तीसगढ़ के इस नॉवलिस्ट का है कनेक्शन

locationरायपुरPublished: Feb 25, 2020 11:52:29 pm

Submitted by:

Tabir Hussain

बॉडी के ऑर्गन डोनेट का आइडिया दे चुके हैं 6 साल पहले

निर्भया कांड की याचिका से छत्तीसगढ़ के इस नॉवलिस्ट का है कनेक्शन

उपन्यास के लेखक अर्पित अग्रवाल।

ताबीर हुसैन @ रायपुर. सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है जिसमें निर्भया कांड के चारो दोषियों को मेडिकल रिसर्च के लिए शरीर और अंग दान करने का विकल्प देने की मांग की गई है। इस आइडिए को तिल्दा-नेवरा के युवा लेखक अर्पित अगव्राल ने अपनी किताब टेक माई हार्ट फॉरेवर में बताया है। यह बुक वर्ष 2014 में अंग्रेजी में पब्लिश हुई थी। कहानी में एक नामी वकील कोर्ट में पीआईएल दायर करता है। अर्पित ने बताया कि यह आइडिया उन्हें कसाब को फांसी के दौरान आया था। अर्पित ने बताया कि मैंने तीन किताबें लिखी हैं, जिसमें सिर्फ मनोरंजन ही नहीं बल्कि कुछ न कुछ मैसेज भी है।

क्या कहा गया है याचिका में

याचिका में कहा गया है कि सरकार और जेल अथॉरटीज को निर्देश दिया जाए कि वह चारो दोषियों को शरीर और अंग दान का विकल्प दें। दाखिल याचिका में मृत्युदंड पाए कैदियों व अन्य कैदियों के अंग दान के बारे में एक नीति बनाए जाने की भी मांग की गई है। कहा गया है कि इसके लिए जेल नियमों में जरूरी बदलाव करने का निर्देश दिया जाए। याचिका पंजीकृत तो हो गई है जिसे वकील कमलेन्द्र मिश्रा के जरिए सेवानिवृत न्यायाधीश माइकल एफ सलदाना और एक अन्य ने दाखिल की गई है।

किताब के कुछ अंश

‘किसी ने किसी को मार कर सबसे बड़ा पाप किया है, और वे मृत्यु के बाद अवश्य ही नरक में जाएंगे। लेकिन, उन्हें अपने अंगों का उपयोग करके दूसरों के जीवन को बचाने का मौका देकर, हम उन्हें मानवता के लिए कुछ अच्छा करने का आखिऱी मौका दे रहे हैं। शायद तब ईश्वर उन्हें उनके पापों के लिए क्षमा कर देंगे और उनकी मृत्यु के बाद उनकी आत्मा को शांति देंगे।Ó और रही बात उनसे बिना पूछे उनके अंगों को निकलने की, तो जब हम उनसे बिना पूछे उन्हें फांसी में लटका सकते हैं, तो क्या हम अंगों को नहीं निकल सकते?

ढाई लाख से ज्यादा ने सुना

अर्पित ने बताया कि आजकल लोगों के पास किताब पढऩे का वक्त नहीं है। मुझे अंग्रेजी से हिंदी ट्रांसलेट करने में करीब सालभर लगे। मैं चाहता तो ट्रांसलेटर से अनुवाद करा सकता था लेकिन हिंदी वर्जन भी जान फूंकने की चाहत के चलते खुद अनुवाद किया। 4 घंटे 57 मिनट की किताब में अब तक 2 लाख 64 हजार लोगों ने इसे सुना। बुक को कुकु एफएम ऐप के जरिए सुना जा सकता है।
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